सदन पंजाब सरकार को निर्देश दे कि वह रिपेरियन सिद्धांत का उल्लंघन करके एसवाईएल मुद्दे पर कुछ भी स्वीकार न करे: शिरोमणी अकाली दल

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शिरोमणी अकाली दल द्वारा प्रस्ताव में एसवाईएल मामले पर शीर्ष अदालत में अपील की मांग की गई

चंडीगढ़/26अगस्त: शिरोमणी अकाली दल ने कल शाम पंजाब विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया है कि सदन पंजाब सरकार को निर्देश दे कि वह एसवाईएल के निर्माण से संबधित किसी भी सवाल पर विचार करने से पहले नदी के पानी के संबध में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य रिपेरियन सिद्धांत को लागू करने संबधी सभी आवश्यक कानूनी, सवैंधानिक और राजनीतिक उपाय करे।

उन्होने कहा कि प्रस्ताव जोकि विधानसभा सचिवालय में नियम 77 के तहत कल प्रस्तुत किया गया में इस बात पर जोर दिया गया है कि देश के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी नदी जल विवादों का निर्णय केवल रिपेरियन सिद्धांत के आधार पर किया गया है। ‘कोई कानूनी यां सवैंधानिक आधार उपलब्ध नही है कि इस सिद्धांत का घोर उल्लंघन करके केवल पंजाब के लोगों पर जोर देने के लिए उनकी नदियों के पानी को प्रभावित करने वाले किसी भी निर्णय यां उददेश्य के लिए नहर के निर्माण पर जोर दिया जाना चाहिए।

अकाली दल प्रस्ताव में चाहता है कि सदन राज्य सरकार को निर्देश दे कि वह मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल द्वारा 1980 में दायर याचिका के आधार पर पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के खंड 78 की सवैंधानिता वैधता के मुददे का सुप्रीम कोर्ट में आगे बढ़ाने के लिए कदम उठाए। बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के राजनीतिक दबाव और निर्देशों के तहत पंजाब के तात्कालीन मुख्यमंत्री एस दरबारा सिंह द्वारा इस मामले को वापिस ले लिया गया था। सरदार बादल ने 1997 में मुख्यमंत्री के पद पर लौटने के बाद उच्चतम न्यायालय में फिर याचिका दायर की थी। शिरोमणी अकाली दल चाहता है कि सदन कैप्टन अमंरिंदर सिंह को सुप्रीम कोर्ट में उस मामले को आगे बढ़ाने का निर्देश दे।

प्रस्ताव में सदन से यह भी कहा गया है कि वह पंजाब सरकार को यह निर्देश दे कि वह रिपेरियन सिद्धांत की अवज्ञा करते हुए किसी भी नदी जल न्यायाधिकरण के गठन को स्वीकार न करे और सबसे महत्वपूर्ण मुददा पंजाब के नदी जल पर किसी भी राज्य के अधिकार की संवैधानिकता का निर्धारण है। ‘ कैसे एसवाईएल यां किसी भी नहर को कैसे निर्धारित किया जा सकता है यह विचार किए बिना इसमें पानी बहना चाहिए यां नही। मानव जाति के इतिहास में इसमें पानी की मात्रा निर्धारित किए बिना, कभी भी नहर का निर्माण नही किया गया है यदि कोई है तो वह नहर से प्रवाह होना चाहिए। क्यों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर केवल पंजाब की नदियों के मामले में उल्लंघन किया जा रहा है और राज्य के लोगों के साथ घोर अन्याय किया जा रहा है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि दी गई परिस्थितियों में एसवाईएल के निर्माण का प्रश्न सरदार परकाश सिंह बादल की लीडरशीप वाली अकाली-भाजपा सरकार के निर्णय से पूरी तरह से अव्यवहारिक है क्योंकि बुनियादी जमीन के मालिक किसानों को एसवाईएल के लिए अधिगृहित की गई जमीन को वापिस किया जा सके। वह सरकार अब उस भूमि की मालिक भी नही है।

इस प्रस्ताव में उच्चतम न्यायालय से अपील करने की मांग की गई है कि वह पंजाब राज्य को इसके माध्यम से बहने वाले पानी के प्रवाह पर सवाल उठाने से पहले ही एसवाईएल का निर्माण करने के निर्देश का पुनरावलोकन करे।