श्री दरबार साहिब में बेअदबी की घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई करने में विफलता से ध्यान हटाने के लिए अकाली दल लीडरशीप को जोड़ने में विफल रहने के बाद बदलाखोरी की राजनीति में लिप्त कांग्रेस सरकार: शिरोमणी अकाली दल
स. बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करना निंदनीय, सरकार बताए कि हाईकोर्ट में सीलबंद लिफाफे में पड़ी एसटीएफ रिपोर्ट एफ.आई.आर का हिस्सा कैसे बन गई
मांग की कि एस.टी.एफ की रिपोर्ट के बाद दायर की गई एडिशनल चीफ सैक्रेटरी तथा डी.जी.पी की रिपोर्ट सार्वजनिक जी जाए
कहा कि अकाली दल राजनीतिक और कानूनी दोनों तरह से कांग्रेस को बेनकाब करेगा
चंडीग़ढ़/21दिसंबर 2021
शिरोमणी अकाली दल ने आज कहा है कि कांग्रेस सरकार अमृतसर में श्री दरबार साहिब में बेअदबी के मामलों की जघन्य घटनाओं के मामले में कार्रवाई करने में नाकाम रहने के साथ साथ शीर्ष अकाली लीडरशीप को फंसाने में नाकाम रहने के बाद पूर्व मंत्री स. बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कर बदलाखोरी की राजनीति कर रही है।
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यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए वरिष्ठ नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा , स.महेशइंदर सिंह ग्रेवाल और डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि ‘‘पंजाब शांति और साम्प्रदायिक सोहार्द्र चाहता हैै’’। यह सुनिश्चित करने और बेअदबी के भयानक मामलों के पीछे साजिश करने वालों को बेनकाब करने के बजाय, कांग्रेस सरकार ने कानून और न्याय के सिद्धांत को खंूटी पर टांग दिया है। सरदार मजीठिया के खिलाफ एक मनगढ़ंत मामला दर्ज करने का विकल्प चुना है। हम थानेदार और जज दोनों बनकर कानून को अपने हाथों में लेने के कांग्रेस सरकार के इस प्रयास की निंदा करते हैं, और राजनीतिक और कानूनी दोनों तरह से इसमें शामिल सभी लोगों को बेनकाब करेेंगें।
यह कहते हुए कि बेअदबी के मामलों में शीर्ष अकाली लीडरशीप के खिलाफ आरोप लगाने के प्रयासों के सभी प्रयास विफल होने के बाद स. मजीठिया के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। स. महेशइंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि मामले में एफआईआर ने कांग्रेस को बेनकाब कर दिया। उन्होने कहा कि एफआईआर एक ऐसी घटना से संबंधित थी जब कांग्रेस पार्टी राज्य में सत्ता में थी। ‘‘इसके अलावा एफ.आई.आर में श्री हरप्रीत सिद्धू की अध्यक्षता वाली एसटीएफ को फिर से प्रस्तुत कर दिया गया। कांग्रेस सरकार को यह बताना चाहिए कि उसने स. मजीठिया के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में हाईकोर्ट में सीलबंद लिफाफे में पड़ी एक रिपोर्ट को कैसे पुनः पेश किया है। स. ग्रेवाल ने राज्य सरकार से एसीएस और राज्य डीजीपी की दो सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट की विषय वस्तु का खुलासा करने के लिए कहा, जिसे रदद कर दिया गया था और उच्च न्यायालय में एक सीलबंद लिफाफे में पड़ी थी।
इस बीच स. ग्रेवाल ने स. मजीठिया के खिलाफ मामला दर्ज करने की प्रक्रिया का भी खुलासा किया। उन्होने कहा कि डीजीपी ने पटियाला एसएसपी को शिकायत की थी, जिन्होने तीन पेज का एक असहमति नोट लिखकर कहा था कि छुटटी पर जाने से पहले स. मजीठिया के खिलाफ कोई मामला क्यों दर्ज नही किया जा सकता है। उन्होने कहा कि इसके बाद राजपुरा में मामला दर्ज करने के प्रयास किए गए, लेकिन यह भी विफल रहा। ‘‘ तब नए डीजीपी- एस चटटोपध्याय ने राज्य अपराध शाखा में मामला दर्ज करने का आदेश दिया जो असाधारण है, जिसका पुलिस जांच में कभी पालन नही किया जाता है’’।
स. ग्रेवाल ने एफ.आई.आर में दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि ड्रग माफिया जगदीश भोला से जुड़े मामलों में पहले ही मुकदमा चलाया जा चुका है और इस मामले में तीन साल की सजा सुनाई जा चुकी है। उन्होने कहा कि एक मामले पर फिर से जांच नही की जा सकती है, जो पहले से ही अदालतों द्वारा तय किया गया था, जब तक एक वरिष्ठ अदालत मामले को फिर से नही खोले।
प्रो. चंदूमाजरा ने इस विषय पर बोलते हुए कांग्रेस पार्टी को चेतावनी दी कि इस तरह की बदलाखोरी की राजनीति से कभी कोई फायदा नही हुआ। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू के दबाव में स. मजीठिया को झूठे मामले में फंसाने का दबाव था, लेकिन उन्हे इस अवैधता के लिए उन्हे भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। उन्होने कहा कि इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए ‘‘ गुरु ग्रंथ’’ और गुरु पंथ’’ को निशाना बनाया था। ‘‘ अब फिर वही कर रहा है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी राज्य का माहौल खराब करना चाहती है, और यही कारण है कि उसने श्री दरबार साहिब में गुटका साहिब की बेअदबी की जांच अपराधी को पकड़कर पुलिस के हवाले करने के बाद भी नही की।
डॉ. चीमा ने बताया कि कैसे स. मजीठिया के खिलाफ प्रतिशोध का मामला दर्ज करने के लिए एक तदर्थ डीजीपी- एस चटटोपध्याय को कुछ दिनों के लिए नियुक्त किया गया। ‘‘ यह सब जानते हैं कि श्री चटटोपध्याय को एक नियमित डीजीपी के रूप में नियुक्ति के लिए भी सूचीबद्ध नही किया गया है, लेकिन फिर भी उन्हे इस एफआईआर को दर्ज करने के लिए नियुक्य किया गया’’। उन्होने कहा कि पहले भी पुलिस अधिकारियों को स. मजीठिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए बारी बारी पदोन्नित और नकद की पेशकश की गई थी, लेकिन अधिकांश कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। डॉ. चीमा ने भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से राज्य में एक नियमित डीजीपी नियुक्त करने का आग्रह किया। उन्होने कहा कि शिरोमणी अकाली दल राजनीतिक बदलाखोरी के ताजा मामले को चुनाव आयोग के ध्यान में लाएगा और इसमें हस्तक्षेप करने और ठीक करने का आग्रह करेगा।

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