संदीप सिंह ने दसवीं पातशाही गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के प्रकाशोत्सव के अवसर पर तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में हाजरी भरकर माथा टेका और सेवा की

Sandeep Singh attends religious gathering at Takhat Sri Harimandir ji Patna Sahib on the occasion of Guru Gobind Singh's birth anniversary

संदीप सिंह ने दसवीं पातशाही गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के प्रकाशोत्सव के अवसर पर तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में हाजरी भरकर माथा टेका और सेवा की

चंडीगढ़, 5 जनवरी- हरियाणा के खेल एवं युवा मामले राज्य मंत्री सरदार संदीप सिंह ने दसवीं पातशाही गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के प्रकाशोत्सव के अवसर पर तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में आयोजित  धार्मिक समागम में शिरकत कर गुरु दरबार में हाजरी भरकर माथा टेका और सेवा भी की।

इस अवसर पर खेल मंत्री सरदार संदीप सिंह ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह ने आतताई ताकतों से टक्कर लेते हुए अपना पूरा वंश बलिदान कर दिया। उनसे बड़ा त्यागी, बलिदानी और तपस्वी इस धरती पर नहीं हुआ। उन्हीं के आदर्शों पर चलते हुए सिख कौम मानवता की सेवा और दीन दुखी व कमजोर की रक्षा के लिए पूरे विश्व में कार्य कर रही है।

उन्होंने कहा कि हमारी आने वाली पीढिय़ों को अपने गौरवमयी इतिहास से रूबरू कराना बेहद जरूरी है। इसलिए शिक्षण संस्थाएं पाठ्यक्रम के अलावा महापुरुषों के इतिहास से विद्यार्थियों को अवश्य रूबरू कराएं ताकि पूरी दुनिया में बहादुर और मानवता की सेवा करने वाले युवाओं की फौज को खड़ा किया जा सके। खेल राज्यमंत्री ने इस अवसर पर संगत से आह्वान करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को इस पवित्र स्थान के दर्शन जरूर कराएं।

खेल राज्यमंत्री सरदार संदीप सिंह ने बताया कि यह सराहनीय है कि हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर साहिब जी महाराज के 400वें प्रकाश पर्व को केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का निर्णय लिया है। आयोजन के दौरान होने वाले कार्यक्रमों के लिए  प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में  देश भर से गणमान्य व्यक्तियों की कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें उन्हें भी बतौर कमेटी सदस्य आयोजन में भागीदारी निभाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनका प्रयास रहेगा कि पूरे विश्व में इस आयोजन को पहुंचा सके।

उल्लेखनीय है कि गुरुद्वारा तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब वह ऐतिहासिक नगरी है। जहां दशमेश पिता गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था। यहां गुरु साहिब के बचपन से जुड़ी यादें सिख समाज द्वारा संजोकर रखी गई हैं।