कहा कि जब कमेटी का गठन करना कांग्रेस पार्टी का काम था, तो पूर्व सी.एम अमरिंदर सिंह और वर्तमान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मुददे पर सुप्रीम कोर्ट में एस.जी.पी.सी विरोधी रूख अपनाया
पार्टी की आपात मीटिंग बुलाई, पंथक संगठनों से सिख समुदाय को बांटने और असीधे तौर पर शासन करने की साजिश को विफल करने के लिए एकजुट होने की अपील की
मुख्यमंत्री को फ्रैंकफ्रर्ट हवाईअडडे से उतरने की घटना की जांच की मांग की तथा राज्यपाल से उन्हे बर्खास्त करने की अपील की
चंडीगढ़/20सितंबर: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 की वैधता को मान्यता देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘ पंथ पर हमला बताया और कहा कि इससे दुनिया भर के सिख समुदाय में गहरी नाराजगी है।
यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एस.जी.पी.सी , जो अंतर-राज्यीय निकाय है को राज्य के एक कानून को मान्यता देकर विभाजित किया गया है, जबकि इस मुददे पर कानून बनाने की शक्ति केंद्र के पास सुरक्षित थी।
सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि कंाग्रेस पार्टी दशकों से अकाली दल और सिख संस्थानों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, और हरियाणा में गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए एक अलग निकाय का गठन 2014 अधिनियम इसी रणनीति का हिस्सा था। उन्होने कहा कि यह उतना ही निंदनीय है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली पंजाब सरकार ने इस मामले को शीर्ष अदालत में एसजीपीसी विरोधी रूख अपनाया था। उन्होने कहा, ‘‘ आखिरी कील भगवंत मान सरकार ने ठोकी, जिसके महाधिवक्ता ने मामले में एसजीपीसी के खिलाफ लिखित दलील दी थी’’।
सरदार बादल ने कहा कि अकाली दल सौ साल पुराने अधिनियम के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नही करेगा तथा कहा, ‘‘ पार्टी ने आगे की कार्रवाई पर फैसला करने के लिए वरिष्ठ नेताओं की एक मीटिंग बुलाई है, जिसमें कानूनी सहारा लिया जाएगा’’। उन्होने सभी पंथक संगठनों से सिख समुदाय को बांटने और असीधे तौर पर शासन करने के सिख विरोधी ताकतों के मंसूबों को हराने के लिए एकजुट होने की अपील की है।
सरदार बादल ने कहा कि देश ने पहले देखा है कि कैसे निर्वाचित दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को रातोरात बदल दिया और इसे अपने हाथों में ले लिया गया है। उन्होने यह भी बताया कि कैसे पंजाब पहले से ही नदी का पानी छीन लिए जाने तथा अपनी राजधानी चंडीगढ़ के बिना ही रह जाने से पीड़ित है। उन्होने कहा, ‘‘ अब हरियाणा के लिए अलग कमेटी के गठन की मान्यता देकर एस.जी.पी.सी को छोटा कर दिया गया है’’।
मुख्यमंत्री भगवंत मान को फ्रैंकफर्ट में एक विमान से उतारे जाने के मुददे के बारे पूछे जाने पर सरदार बादल ने कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री के इस हरकत से पंजाब और पंजाबियों की प्रतिष्ठा कम हुई है’’। उन्होने खुलासा किया कि कैसे उन्होने घटना की पुष्टि करने के लिए मुख्यमंत्री के साथ की उड़ान में सवार दो यात्रियों से बात की थी। उन्होने कहा, ‘‘ यात्रियों में से एक उद्योगपत्ति, प्रथम श्रेणी में था, जबकि दूसरा राजस्थान का एक होटल व्यवसायी, बिजनेस क्लास में था। दोनों ने बताया कि भगवंत मान विमान में प्रवेश करते ही पहली सीट पर गिर गए थे। उन्होने कहा कि इसके बाद एक एयरहोस्टेस ने मुख्यमंत्री को उनकी सीट के बारे में सूचित किया, जो थोड़ पीछे की ओर थी और मान एक तरफ से दूसरी तरफ लड़खड़ाते हुए अपनी सीट पर चले गए। इसके बाद एयर होस्टेस ने कैप्टन को स्थिति के बारे में सूचित किया और कैप्टन ने मौके पर आकर मुख्यमंत्री को उतारने का फैसला किया’’।
सरदार बादल ने कहा, ‘‘लुफ्थांसा ने कभी नही कहा कि भगवंत मान नशे में नही थे, और उतरने की घटना नही हुई। वास्तव में एयरलाइन ने गोपनियता कानूनों का हवाला देते हुए घटना का खुलासा करने से इंकार कर दिया है। उन्होने यह भी सवाल किया कि फ्रैंकफ्रट हवाई अडडे पर लगभग दो घंटे तक वीआईपी लाउंज का आनंद लेने के बाद मुख्यमंत्री अचानक बीमार कैसे पड़ गए।
सरदार बादल ने पूरी घटना की जांच की मांग करते हुए राज्यपाल से मान को उनके पद से बर्खास्त करने की अपील की है। उन्होने कहा, ‘‘ ऐसे व्यक्ति को अब और पद पर रहने की अनुमति नही दी जानी चाहिए’’।
एक सवाल का जवाब देते हुए सरदार बादल ने कहा कि पंजाब में बीएमडब्ल्यू द्वारा कार निर्माण की स्थापना के बारे बोले झूठ का पर्दाफाश हो गया है, लेकिन लोगों को यह पता नही था कि मुख्यमंत्री जिस साइकिल कंपनी का राज्य में निवेश करने का दावा किया था, उसका पहले से ही लुधियाना में परिचालन है।

English






