अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के माध्यम से स्वरोजगार स्थापित करने वाले सेल्फ हेल्प ग्रुपों को मिली नई उड़ान

देसी तरीके से कोल्हू के माध्यम से तैयार किया जा रह है सरसों का तेल

सरस्वती स्वयं सहायता समूह ने लगाया हैंडमेड आचार का स्टॉल

विदेशों में भी उपलब्ध करवाए जा रहे अचार और मुरब्बे, समूह की संचालक उषा रानी ने गांव संघौर में बनाए हैं कई महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप

चंडीगढ़, 2 दिसंबर 2025

कुरुक्षेत्र में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव छोटे-छोटे शिल्पकारों व स्वयं का रोजगार स्थापित करने वाले लघु उद्यमियों के लिए भी एक मुख्य मंच बनकर उभरा है और इसके माध्यम से उनके व्यवसाय को खूब बढ़ावा मिल रहा है। महोत्सव में जहां विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रमाण पत्र प्राप्त शिल्पकार अपनी शिल्पकला को प्रदर्शित कर रहे हैं, वहीं विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से अपने छोटे-छोटे स्वरोजगार चलाने वाले समूहों ने भी अपने स्टॉल स्थापित किए हैं। अहम पहलू यह है कि महोत्सव में स्थापित स्टाल नंबर 833 पर देशी तरीके से कोल्हू के माध्यम से निकाला गया सरसों व नारियल का शुद्ध तेल भी उपलब्ध है, जिसकी बोतल को खोलने पर उसकी महक दूर तक बिखर जाती है।

सरस्वती स्वयं सहायता समूह की उषा रानी ने ब्रह्म सरोवर के उत्तरी पश्चिमी छोर की तरफ अपना स्टॉल नंबर 833 स्थापित किया है। इस स्टॉल पर उनके पति मदन लाल उनका सहयोग कर रहे हैं। महोत्सव में स्थापित किए गए इसी प्रकार एक स्टॉल पर विभिन्न प्रकार के अचार और मुरब्बे मौजूद हैं। इस स्टॉल पर करीब 45 प्रकार के अचार और मुरब्बे उपलब्ध हैं। इसके साथ-साथ बेलपत्र, एप्पल, अमले, चेरी और गाजर के मुरब्बे, लहसुन अदरक की चटनी, आंवले की चटनी और आंवला कैंडी, आंवला व तिल के लड्डू भी पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं। इन अचारों में स्वदेशी स्वाद है और ये पूरी तरह से शुद्ध और जैविक मसाले का उपयोग करके बनते हैं, जिसमें कोई स्वाद वर्धक सामग्री नहीं है। इनमें कोई केमिकल नहीं है, जिसकी वजह से यह लंबे वक्त तक स्वादिष्ट रहते हैं। इसके साथ-साथ विशेष रूप से खजूर के गुड़ से बना मीठा अचार, अलसी के लड्डू, ठंडे तेल में बना आम का अचार सहित कई प्रकार आचार व मुरब्बे उन्होंने महोत्सव में आने वाले पर्यटकों के लिए रखे हैं।

गांव संघौर की उषा रानी ने कहा कि देसी तरीके से बिना केमिकल का इस्तेमाल किये विभिन्न मसालों के माध्यम से यह आचार तैयार किया जाता है और महोत्सव में आने वाले पर्यटक इस आचार को बहुत ही चाव से खाते हैं और अपने घर के लिए खरीदकर भी लेकर जाते हैं। इन आचारों और मुरब्बों का घरेलू स्वाद इनकी पहचान है। ये पूरी तरह से स्वच्छ वातावरण में और प्राकृतिक प्रक्रिया से बनाए जाते हैं। स्टॉल पर सजाए गए इन अचारों के पिटारे में आम, नींबू, गाजर, राई वाली मिर्च, लाल मिर्च, आंवले, करोंदे, टिंड, अदरक, मशरूम, कच्ची हल्दी, ढेउ, खट्टा मीठा नींबू, कटहल, लहसुन, बारीक टिंड, हर्ड और मिक्स अचार शामिल हैं।

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने अपने गांव में कई ग्रुप बनाए हैं और ग्रुप की महिलाओं द्वारा अपना स्वरोजगार स्थापित किया गया है। सरकार द्वारा महोत्सव में स्टॉल उपलब्ध करवाया गया है। उनके उत्पादों को वर्ष 2021 में हरि फूड्स के नाम से अपना मार्का भी मिला है। यह आचार कई साल तक खराब नहीं होते। उनके स्टॉल प