चंडीगढ़, 22 जनवरी:
राज्य में डेंगू और मलेरिया के मामलों को कंट्रोल करने के लिए उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की तरफ विशेष ध्यान दिया जाये जहाँ अधिक से अधिक ऐसे मामले सामने आते हैं। साल 2019 में मलेरिया के ज़्यादातर मामले ग्रामीण इलाकों में दर्ज किये गए और कुल मामलों में से 80 प्रतिशत मामले चार जिलों -बठिंडा, होशियारपुर, मानसा और मोहाली में दर्ज किये गए जबकि अजनाला, बटाला, फाजिल्का और नाभा के शहरी इलाकों में डेंगू के ज़्यादातर मामले सामने आए। यह खुलासा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मंत्री स. बलबीर सिंह सिद्धू ने वैक्टर और पानी से होने वाली बीमारियों की रोकथाम और कंट्रोल सम्बन्धी स्टेट टास्क फोर्स की समीक्षा मीटिंग के दौरान किया।
मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि संक्रमित बीमारियों की रोकथाम और कंट्रोल के लिए हरेक विभाग द्वारा एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए जिससे विभागों के दरमियान बेहतर तालमेल को यकीनी बनाया जा सके।
स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य विभाग प्रभावित मामलों की जांच और इलाज के लिए जि़म्मेदार है जबकि स्थानीय निकाय, ग्रामीण विकास और जल सप्लाई और सैनीटेशन विभाग की ड्यूटी स्वास्थ्य विभाग को बीमारी के फैलने संबंधी बताना है और उनके अधिकार क्षेत्र में बीमारी की रोकथाम के लिए अपेक्षित कार्यवाही करना है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस समय स्वास्थ्य विभाग सभी हिस्सेदार विभागों को उनके क्षेत्रों में फैलने वाली बीमारियों संबंधी सूचित कर रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने ग्रामीण विकास को राज्य भर के गाँवों में कीटनाशकों के छिडक़ाव के लिए कामगारों की सेवाएं लेने के लिए कहा। उन्होंने आगे कहा कि समय की ज़रूरत है कि ग्रामीण और दूर दराज के इलाकों में लोगों को वैक्टर और पानी के साथ पैदा होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक करने के लिए व्यापक मुहिम आरंभ की जाये जिससे ऐडीस एजिप्टी और ऐडीस एल्बोपिक्टस के प्रजनन को आरंभिक चरण पर ही रोका जा सके।
स. सिद्धू ने बताया कि राज्य के सभी शहरी इलाकों में एम.सी. एक्ट के अधीन उल्लंघन करने वालों (मच्छर प्रजनन वाले स्थानों) के चालान नहीं किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वातावरण को वैक्टर प्रजनन से मुक्त रखने के लिए यू.एल.बीज़ और समूह नगर निगम वॉटर सप्लाई, सिवरेज़, ड्रेनेज और ठोस अवशेष प्रबंधन के लिए प्रोग्राम तैयार और लागू करेंगे। उन्होंने कहा कि जो दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं उनके विरुद्ध भी सख्त कार्यवाही की जायेगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि बच्चों को मलेरिया के साथ-साथ डेंगू के लक्षणों के प्रति जागरूक करने के लिए स्कूलों में सैमीनार और आई.ई.सी. गतिविधियां करवाई जा रही हैं। स. सिद्धू ने ट्रांसपोर्ट विभाग को ज़ोर देकर कहा कि वह इस्तेमाल किए गए टायरों और स्क्रैप को तुरंत ढककर रखें और जि़लों में साप्ताहिक आधार पर वर्कशॉपों की जांच करें।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि पंजाब में कोरोना वायरस का ख़तरा नहीं है और इस सम्बन्धी हिदायतें पहले की जि़लों को भेज दी गई हैं।
इस मौके पर लोगों को जागरूक करने के लिए मलेरिया का एक पोस्टर भी जारी किया गया।
इस मौके पर अन्यों के अलावा चेयरमैन पंजाब हैल्थ सिस्टम कार्पोरेशन अमरदीप सिंह चीमा, एम.डी. पंजाब हैल्थ सिस्टम कार्पोरेशन मनवेश सिंह सिद्धू, डिप्टी सचिव हैल्थ डॉ. अमनिन्दर कौर बराड़, डायरैक्टर स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. अवनीत कौर, डायरैक्टर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. रीटा भारद्वाज, कमिश्नर श्रम विभाग श्री प्रवीण, स्थानीय निकाय विभाग के संयुक्त डायरैक्टर श्री राकेश कुमार, स्कूल शिक्षा विभाग के विशेष सचिव श्री दिलराज सिंह, सहायक डायरैक्टर मछली पालन श्री सुखविन्दर सिंह, मैडीकल शिक्षा एवं अनुसंधान के ज्वाइंट डायरैक्टर डॉ. ए.डी. अग्रवाल, डायरैक्टर एस.ओ. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, डॉ. राकेश गुप्ता, डिप्टी डायरैक्टर मलेरिया डॉ. मुकेश सोढी, चीफ़ इंजीनियर डी.डब्ल्यू.एस.एस. वॉटर सप्लाई और सेनिटेशन राजविन्दर सिंह, सचिव पी.टी.ए. सुखविन्दर कुमार, कार्यकारी इंजीनियर वॉटर सप्लाई और सिवरेज बोर्ड मोहित वर्मा, सीनियर रीजनल डायरैक्टर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण भारत सरकार डॉ. अमरजीत कौर, आई.एम.ए. मोहाली डॉ. सी.एस. संधू, नोडल अफ़सर डी.आर.डी.पी. मोहाली डॉ. नीरजा आनंद समेत अन्य आदरणिय उपस्थित थे।

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