
इस बारे में अन्य जानकारी देते हुए कि केवल सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्री और विधायक ही पुलिस गवाहों को ड्रग माफिया के खिलाफ गवाही देने से रोक सकते हैं, सरदार बादल ने कहा , ‘‘ ऐसा पहली बार नही हुआ है। यह नियमित रूप से घटित होता है। यह गृह मंत्री पर स्पष्ट आरोप है कि नशीली दवाओं के खतरे को नियंत्रित करने में उनकी नाकामी , जिसे उन्होने कुछ ही दिनों में खत्म करने का वादा किया था। इस मामले में किसी अधिकारी को बलि का बकरा बनाने के बजाय, गृह मंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेकर तुंरत इस्तीफा देना चाहिए’’।
अकाली दल अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से पंजाबियों को यह भी बताने को कहा कि वह ड्रग तस्करों के खिलाफ कोई सकारात्मक कार्रवाई क्यों नही कर रहे हैं’’। उन्होने कहा, ‘‘ पहले भी हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि ड्रग कारोबार में ड्रग माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की जा रही है’’। उन्होने बताया कि कैसे पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को भी लुधियाना में 33 शराब की दुकानों में ड्रग की बिक्री के बारे में जानकारी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि मुख्यमंत्री औपचारिक शिकायत के बावजूद मामले में कोई कार्रवाई करने में नाकाम रहे हैं। उन्होने कहा, ‘‘यह तथ्य है कि सभी शराब की दुकानें जिनमें ड्रग जब्त किए गए थे उन्हे एक महीने के बाद दोबारा खोलने की अनुमति दे दी गई, से साबित होता है कि आप सरकार ड्रग माफिया के साथ मिली हुई है और इसके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उनके घृणित व्यापार को बढ़ावा दे रही है’’। उन्होने यह भी बताया कि राज्य के राज्यपाल ने भारत-पाक सीमा की यात्रा के बाद यह भी नोट किया कि नशा अब किराने की दुकानों में भी उपलब्ध है।
सरदार बादल ने यह कहते हुए कि यह रवैया केवल नशीली दवाओं के मुददे तक ही सीमित नही है।उन्होने कहा कि आप सरकार रेत माफिया को भी संरक्षण दे रही है। उन्होने उदाहरण दिया कि कैसे खडूर साहिब के विधायक मनजिंदर सिंह लालपुरा के जीजा को गिरफ्तार करने वाले एक सम्मानित पुलिस अधिकारी का तबादला तरनतारन से बाहर कर दिया गया , जबकि आरोपी को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया और जमानत मिलने से पहले भी उसने एक भी दिन जेल में नही बिताया।

English





