सरदार सुखबीर सिंह बादल ने एसीएस की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की, मुख्यमंत्री से पूछा कि धर्मसोत के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए और क्या सबूत चाहिए

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कहा कि अगर मुख्यमंत्री अब भी मंत्री के खिलाफ कार्रवाई नही करना चाहते हैं तो यह साबित हो जाएगा कि दलित छात्रों के खिलाफ अपराध में पूरी कांग्रेस पार्टी और आलाकमान की मिलीभगत है

जानकारी दी कैसे संस्थाओं जिनके खिलाफ वसूली बकाया थी, को संदिग्ध रिऑडिट के बाद अवैध रूप से पैसे दिए गए थे

सुनील जाखड़ से पूछा कि वह चोरों को क्यों बचा रहे हैं?

चंडीगढ़/04सिंतबर: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज अनुसूचित जाति कल्याण मुख्य सचिव कम अतिरिक्त मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट दिखाई, जिसपर कल्याण मंत्री साधु सिंह धर्मसोत का पर्दाफाश किया और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से कहा है कि उन्हे भ्रष्ट मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अन्य क्या सबूत चाहिए।

शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री ने धर्मसोत पर कार्रवाई करके गिरफ्तार नही किया तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि वह गलत इरादों के लिए एक चोर को बचा रहे थे और हाईकमान सहित पूरी कांग्रेस पार्टी की दलित छात्रों के खिलाफ इस अपराध में मिलीभगत थी। उन्होने मुख्य सचिव के अधीन बनाई समिति को को भी खारिज करते हुए कहा कि इसका एकमात्र उददेश्य क्लीन चिट देना लग रहा है और शिरोमणी अकाली दल दलित छात्रों के लिए न्याय हासिल करने के लिए सभी विकल्पों को आगे बढ़ाएगा और अदालत भी जाएगा।

यहां एक वर्चुअल कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि एसीएस कृपा शंकर सरोज की जांच से पता चला है कि धर्मसोत ने 63 करोड़ रूपये का घोटाला किया है और अधिकारी ने इसका सबूत भी दिया। उन्होने कहा कि मंत्री ने एक आदेश पारित कर भुगतान वितरित करने के लिए विभाग के निदेशक की शक्तियां छीन ली और चूनिंदा तरीके से अपने हस्ताक्षरों पर भुगतान जारी करना शुरू कर दिया। मंत्री खजाना विभाग को गुमराह करने के लिए भी जिम्मेदार है। चूंकि खजाना केवल डॉयरेक्टर को मान्यता देता है जहां तक धन जारी करने का संबध है, डायॅरेक्टर का स्टाम्प एक डिप्टी डॉयरेक्टर के हस्ताक्षरों के साथ भुगतान पर चिपका दिया था जो मंत्री के साथ मिलीभगत थी। इस डिप्टी डॉयरेक्टर परमिंदर सिंह गिल को पहले मंत्री ने बहाल किया था और दो साल ऑडिट का काम पूरा नही करने के लिए मुख्य सचिव द्वारा निलंबित किए जाने के बाद भी यही चार्ज दिया था।

धर्मसोत द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के बारे अधिक जानकारी देते हुए सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि एसीएस की जांच रिपोर्ट के अनुसार कॉलेजों को मंत्री ने नए ऑडिट के आदेश देकर अवैध राहत दी थी। उन्होने कहा कि सरस्वती पॉलिटेक्निक के मामले में बठिंडा संस्थान से 1.85 करोड़ रूपये वसूले गए थे। उन्होने कहा कि धर्मसोत द्वारा किए गए नए ऑडिट ने इस आंकड़े को घटाकर केवल 12 लाख रूपये कर दिया जिसके बाद विभाग ने कालेज को90 लाख रूपये का भुगतान किया था। उन्होने कहा कि इसी तरह रीजनल कॉलेज बठिंडा के मामले में 2 करोड़ रूपये की रिकवरी के एवज में विभाग की देनदारी को घटाकर 6 लाख रूपये कर दिया और संस्था को 1.08 करोड़ रूपये का भुगतान किया। उन्होने कहा कि मॉडर्न कॉलेज संगरूर के मामले में वसूली 58 लाख रूपये से घटाकर 6 लाख रूपये कर दी गई और फिर संसथान को एक बार भुगतान करने की बजाय दो बार 44 लाख रूपये का भुगतान किया गया। सरदार बादल ने कहा कि सीजीसी, मोहाली के मामले में वसूली 55 लाख रूपये से घटाकर 10 लाख रूपये कर दी गई और संस्थान को 1.32 लाख का भुगतान किया गया।

सरदार बादल ने कहा सिर्फ इतना ही नही ‘धर्मसोत ने छात्रों को गुजारा भत्ता भी नही दिया क्योंकि इसका भुगतान निजी संस्थानों के बजाय सीधे उनके खातों में किया जाना था’ । उन्होने कहा कि 2015-16 और 2016-17 में 72 करोड़ रूपये खर्च नही किए गए थे लेकिबन मंत्री ने फैसला सुनाया क्योंकि छात्रों ने कॉलेजों को छोड़ दिया है इसीलिए उन्हे गुजारा भत्ता देने की जरूरत नही है और इसका भुगतान निजी संस्थानों को किया जाना चाहिए। ‘इससे पता चलता है कि धर्मसोत ने न केवल दलित छात्रों को उनकी एस.सी स्कॉलरशिप से लूटा बल्कि उनका गुजारा भत्ता भी नही दिया।

एक सवाल का जवाब देते हुए अकाली दल अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ से पूछा कि उन्होने चोरों को बचाने की जिम्मेदारी क्यों ली है, जिसके कारण राज्य में उच्च शिक्षण संस्थानों में 1.50 लाख छात्रों में गिरावट आई है। उन्होने कहा कि अगर कांग्रेस सरकार एस.सी कल्याण विभाग की अनियमितताओं की जांच को लेकर वाकई गंभीर थी तो उसने करीब चार साल तक ऐसा क्यों नही किया।उन्होने कहा कि जहरीली शराब त्रासदी की प्रवर्तन निदेशालय की जांच का सवाल है तो जाखड़ भी झूठ बोल रहे थे। जाखड़ को यह कहने की कोशिश नही करनी चाहिए कि ईडी कांग्रेस कार्यकाल के दौरान ही एक केस उठा रहा था क्योंकि उसने अकाली-भाजपा कार्यकाल में भी कई मामले उठाए थे।