सुखबीर सिंह बादल द्वारा कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुफ्त बिजली बंद करने पर जनआंदोलन की चेतावनी

Sukhbir warns Amaridner of mass movement if free power stopped

कहा कि आहलूवालिया द्वारा धान की खरीद धीमी करने की सिफारिश करने से साबित हो गया है कि बिल्ली थैले से बाहर आ गई है

धीमी धान खरीद पर आहलूवालिया की रिपोर्ट गरीब किसानों के लिए मौत का वारंट है

चंडीगढ़/14अगस्त: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को परकाश सिंह बादल की लीडरशीप वाली अकाली-भाजपा सरकार द्वारा 1997 में दी गई मुफ्त बिजली सुविधा को वापिस लेने के खिलाफ चेतावनी दी है। उन्होने कहा कि यदि आप किसानों को मुफ्त बिजली सुविधा वापिस लेने की दिशा में एक भी कदम उठाते हैं, तो आपको पहले से ही परेशान किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए शिरोमणी अकाली दल द्वारा जबरदस्त जनआंदोलन का सामना करने के लिए खुद को और सरकार को तैयार रहना चाहिए। हम कभी भी मुफ्त बिजली की सुविधा को खत्म नही होने देंगे।

सरदार बादल ने कहा कि अकाली दल इस रिपोर्ट को खारिज करता है क्योंकि यह किसान विरोधी है और इसकी सिफारिशों को स्वीकार करना किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने के समान होगा। उन्होने मुख्यमंत्री से यह भी कहा कि वे इस मुद्दे की गंभीरता को महसूस करें और आज ही कांग्रेस के चहेत अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह आहलूवालिया की सिफारिशों को अस्वीकार करें, जिन्होने मुफ्त बिजली की सुविधा को प्रतिगामी बताकर सरकार को इसे रोकने की सलाह दी है।

सरदार बादल ने पंजाब सरकार द्वारा गठित कमेटी की सिफारिशों और आहलूवालिया की अध्यक्षता में कोविड-19 महामारी के बाद लॉकडाउन के मदद्ेनजर पंजाब की अर्थव्यवस्था को पुनजीर्वित करने के तरीके सुझाने के बारे में खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे।

सरदार बादल ने मोंटेक आहलूवालिया की अन्य सिफारिशों पर भी जमकर निंदा की , जिसमें उन्होने राज्य सरकार को सलाह दी थी कि वह राज्य में धान की खरीद को धीमा करे। सरदार बादल ने कहा कि कांग्रेस के वफादार अर्थशास्त्री की इस सिफारिश से बिल्ली थैले से बाहर आ गई है। यह इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि सरकार किसानों की उपज की सुनिश्चित खरीद को वास्तव में कौन रोकना चाहता है।

सरदार बादल ने कहा कि यह सिफारिशें केवल कांग्रेस शासकों के महाराजा वाले पूर्वगृह को खुश करने के लिए थी। किसानों को मुफ्त बिजली किसानों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए सरदार परकाश सिंह बादल का सबसे ज्यादा योगदान रहा है क्योंकि उससे हमारे खाद्य व्यवस्था को पूरी तरह सुरक्षित कर दिया और खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता और निर्यात के माध्यम से अकेले अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा बचाई है। यह अजीब बात है कि महानगरीय शहरों में वातानुकूलित कमरों में आराम कुर्सी पर बैठकर अर्थशास्त्री उन किसानो की पीढ़ियों की तुलना में कृषि अर्थशास्त्र को बेहतर ढ़ंग से समझने का दिखावा करते हैं, जिन्होने खेतों में घास काटने वाली गर्मी में अपना जीवन बिताया है।

सरदार बादल ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह हमेशा से किसानों को मुफ्त बिजली बंद करने के बहाने ढ़ूंढ़ते रहे हैं। उन्होने 2002-07 के दौरान मुख्यमंत्री के रूप में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान वास्तव में इस सुविधा को वापिस ले लिया था, इससे पहले शिरोमणी अकाली दल ने इस फिर से शुरू करने के लिए जनआंदोलन के माध्यम से मजबूर किया था। उन्होने अब बादल सरकार द्वारा किसानों को दी गई इस जीवनदायी राहत के प्रति अपनी वास्तविक नापसंदगी को ढ़ांपने के लिए मोंटेक सिंह आहलूवालिया की सिफारिशों के रूप में नया खेल खेला है। सरदार बादल ने यहां एक बयान में कहा कि किसान पहले की कृषि आदानों की बढ़ती लागत और बढ़ती लागत के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए अपनी उपज की कीमतों के विफलता के कारण पहले ही आपदा के कगार पर है।