चंडीगढ़, 03 नवंबर:
शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज मुख्यमंत्री भगवंत मान से कहा है कि वे पीएयू लुधियाना में एक दिखावटी बहस समारोह के दौरान बादल परिवार के खिलाफ बोले गए दुर्भावनापूर्ण झूठ के लिए दस दिनों के भीतर माफी मांगें यां आपराधिक मानहानि के मुकदमें का सामना करने के लिए तैयार रहें।
यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि पीएयू , लुधियाना में एक व्यक्ति के भाषण के दौरान, जिसका पूरे विपक्ष ने बहिष्कार किया था, मुख्यमंत्री ने यह दावा करके चरित्र हनन किया कि पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बाददल ने हरियाणा के बालासर गांव में बादल फार्म तक नहर का पानी पहुंचाने के लिए एक सिंचाई ब्रांच का निर्माण कर 1998 में भाखड़ा मेन लाइन नहर की उंचाई बढ़ाकर समझौता किया था।
सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि देवीलाल 1977 में पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे, जबकि बालासर ब्रांच 12 मार्च 1964 को बनाई गई थी। उन्होने कहा कि बालासर ब्रांच बानी शाखा का हिस्सा थी, जो स्वयं भाखड़ा नहर प्रणाली पंजोआणा ब्रांच का हिस्सा थी।
अकाली दल अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री केा एक पत्र दिखाने की चुनौती देते हुए कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल का पत्र दिखाएं जो उन्होने इमरजेंसी के दौरान जेल में रहते हुए एसवाईएल नहर के शीघ्र निर्माण के लिए केंद्र को लिखा था। उन्हेाने कहा, ‘‘ यह उन सरदार बादल की छवि को खराब करने का प्रयास है, जिन्होने इमरजेंसी का डटकर मुकाबला किया और इसे हरगिज बर्दाश्त नही किया जाएगा और श्री भगवंत मान को उनके दुर्भावनापूर्ण बयानों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा’’।
सरदार बादल ने कहा कि इसी तरह मुख्यमंत्री अपनी दिखावटी बहस के दौरान फर्जी तरीके से दावा किया कि बादल परिवार की बसों के 62 परमिट रदद कर दिए गए हैं। उन्होने कहा कि सच्चाई यह है कि पंजाब रोडवेज और पीआरटीसी सहित सभी निजी और सरकारी बसों के परमिटों को दिए गए विस्तार को सुप्रीम कोर्ट ने रदद कर दिया है।
यह कहते हुए कि मुख्यमंत्री ने पहले यह आरोप लगाकर बादल परिवार को बदनाम करने की कोशिश की कि उन्हे एसवाईएल के निर्माण के लिए सहमति देने के बदले गुड़गांव में एक होटल के लिए जमीन दी गई थी। सरदार बादल ने कहा, ‘‘ यह सफेद झूठ है’’। उन्होने कहा कि गुड़गांव में होटल की जगह 1989 में राज्य की औद्योगिक नीति के तहत आवेदन करने पर बादल परिवार को दी गई, जबकि एसवाईएल नहर प्रोजेक्ट की शुरूआत पूर्व मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने 1976 में सैद्धांतिक मंजूरी देकरी की थी। ‘‘ मैं भगवंत मान को याद दिलाना चाहता हूं कि जहां देवीलाल ने 1979 में एसवाईएल के निर्माण की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल ने नहर के निर्माण की मांग करते हुए पंजाब पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 को चुनौती दी थी’’। उन्होने कहा कि सरदार बादल ने यह सुनिश्चित करने के लिए कपूरी मोर्चे की अगुवाई की थी कि नहर का निर्माण न हो’’।
सरदार बादल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने लगातार अकाली सरकारों के दौरान किए गए विकास कार्यों के बारे में भी झूठ बोला है। उन्होने कहा, ‘‘ मैं मुख्यमंत्री को याद दिलाना चाहता हूं कि वे थर्मल प्लांट, हवाई अडडों, राजमार्गों, सिंचाई चैनलों और मंडियों सहित राज्य में सभी बुनियादी ढ़ांचा परियोजनाओं को देखें और जांचे कि वे कब शुरू हुए। ये सभी पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल के कार्यकाल के दौरान ही स्थापित किए गए हैं। उन्होने कहा कि आप सरकार के नाम एक भी उपलब्धि नही है, फिर भी उसने सरकार में पहले डेढ़ साल के दौरान 50 हजार करोड़ रूपये का कर्ज लिया है।

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