पृथ्वी को सहेजना नागरिक दायित्व-अपूर्व कुमार सिंह
चण्डीगढ, 22 अप्रैल – हरियाणा के वन एवं वन्य जीव मंत्री श्री कंवर पाल ने कहा कि प्रकृति के प्रति सम्मान रखकर भावी पीढ़ी के सुखमय एवं समृद्ध जीवन के लिए पृथ्वी को प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण करना होगा। प्रकृति संरक्षण को अपने व्यवहार में आत्मसात करेंगे, तभी ‘पृथ्वी दिवस’ की सार्थकता हो सकेगी।
श्री कवंर पाल आज ‘विश्व पृथ्वी दिवस’ के अवसर पर वन विभाग द्वारा करनाल के केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। लोगों में प्रकृति संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से शहरी क्षेत्र को हराभरा बनाने और नागरिकों को फोरेस्ट से जोड़ने के विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई।
वन मंत्री ने कहा कि पृथ्वी और वातावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 22 अपै्रल को थीम आधारित ‘अर्थ डे’ मनाया जाता है। इस वर्ष ’’अपने ग्रह में निवेश करें’’ थीम रखा गया ताकि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ और खुशहाल जीवन प्रदान किया जा सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें अपने आचरण में परिवर्तन लाना होगा तथा प्रकृति संरक्षण के लिए नई आचार संहिता बनानी होगी।
उन्होंने कहा कि हम मेहनत करके धन तो कमा सकते हैं लेकिन एक बार हमारी प्राकृतिक सम्पदा खत्म हो गयी तो उसे दोबारा नहीं बढ़ा सकते। इसलिए जरूरी है कि हम सब एक साथ मिलकर जल, जंगल और जमीन को स्वच्छ और समृद्ध बनायें। अपने प्राकृतिक संसाधनों को सहेजे, तालाब तथा बाबड़ी खुदवाकर वर्षा के जल को बर्बाद होने से बचायें। धरती को हरा-भरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करें। उन्होंने कहा कि यदि हम सही मायनों में पृथ्वी दिवस मनाना चाहते हैं तो हमें प्रत्येक व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में पर्यावरण संरक्षण के संस्कार रोपित करने होंगे।
वन एवं वन्य प्राणी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अपूर्व कुमार सिंह ने कहा कि पृथ्वी को सहेजना हमारी नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। यह दिन पृथ्वी के अस्तित्व की रक्षा का है। आज इस बात के लिए चिंतन तथा मनन करना है कि हम धरती को कैसे बचा सकते हैं। प्राकृतिक संरक्षण के लिए जन-जन की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। प्रत्येक व्यक्ति पृथ्वी बचाने की मुहिम का हिस्सा बनेगा तभी हम इस धरती के ऋण को चुका सकने में समर्थ हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि करनाल शहर को हरा-भरा करने के लिए शहरी वानिकी योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। परन्तु इसके लिए पौधारोपण हेतू सही स्थान व वातावरण का चयन किया जाये क्योंकि निर्मित वातावरण न केवल मुनष्यों को बल्कि वन्य जीवों के व्यवहार को भी प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक हिस्सेदारी से ही वनाच्छादित हरियाणा का सपना साकार होगा।
वन मंत्री श्री कंवर पाल एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अपूर्व कुमार सिंह ने ‘प्रकृति रक्षा के स्वर’ पत्रिका विशेषांक का लोकार्पण भी किया। कार्यशाला में प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री जगदीश चन्द्र, महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. समर सिंह, केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक एवं कार्यवाहक निदेशक डा. पी आर भटनागर ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर ए पी सी सी एफ श्री विवेक सक्सेना, श्री नवदीप हुड्डा, श्री घनश्याम शुक्ला, श्री टी पी सिंह, श्री अतुल श्रेयस्कर, श्री एम एल राजवंशी, मुख्य वन संरक्षक श्री जी. रमन, श्री वासवी त्यागी, सुश्री निवेदिता सहित वन विभाग के वन मंडल अधिकारी, रेंज आफिसर विशेष रूप से उपस्थित थे।

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