चंडीगढ़, 20 जुलाईः
पंजाब के जेल विभाग द्वारा राज्य भर की जेलों में कोरोना संकट के विरुद्ध सभ्यक ढंग से निपटने के लिए तीन आयामी रणनीति बनायी गई है। इस रणनीति में रोकथाम, स्क्रीनिंग, जांच और इलाज तथा फैलाव को रोकना शामिल है।
राज स्तर की निगरानी टीम और जिला स्तरीय निगरानी टीमें पहले ही गठित कर दी गई हैं जिससे स्थिति की निगरानी की जा सके और जमीनी स्तर पर स्टाफ और कैदियों को रोजमर्रा के कामों में पेश आ रही मुश्किलों का हल करने में मदद की जा सके।
उचित रणनीति के अंतर्गत उठाए जा रहे रोकथाम कदमों संबंधी जानकारी देते हुए सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए, उच्च स्तरीय सिफारिशों के मुताबिक मार्च, 2020 से अब तक लगभग 11,500 कैदियों को पैरोल / अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्च ताकती समिति द्वारा उक्त सिफारिशें की गई हैं। इसके अलावा, कोविड का टैस्ट करवाने के बाद ही सभी नये कैदियों को दाखिल करने के लिए 6 विशेष जेल (बठिंडा, बरनाला, पट्टी, पठानकोट, लुधियाना, महिला जेल लुधियाना) बनाईं गई हैं। विशेष जेलों में 14 दिनों के लिए एकांतवास में रहने के बाद, उनकी दोबारा जांच की जाती है, और यदि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो उनको नियमित जेलों में भेजा जाता है। कॉमनवैल्थ ह्यूमन राईटज इनीशिएटिव (सीएचआरआई) द्वारा आयोजित की गई भारत के जेलों के मुखियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान इस नवीन उपाय की प्रशंसा की गई।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि लुधियाना में बढ़ रहे कोविड मामलों के मद्देनजर जिला जेल संगरूर को खाली कर दिया गया है जिससे विशेष जेल लुधियाना के सभी कैदियों को 14 दिनों के लिए इस जगह पर क्वरंटीन किया जा सके। फिर यदि वह तीन बार टैस्ट करने के उपरांत नेगेटिव पए जाते हैं तो उनको नियमित जेलों में भेजा जाये। कैदियों में जागरूकता फैलाने के एक हिस्से के तौर पर जेलों में कोरोना के कारणों, लक्षणों, रोकथाम, जांच और इलाज को दिखाते पोस्टर और बैनर लगाए जाने चाहिएं। जेलों के स्टाफ और मैडीकल अफसरों को उचित प्रशिक्षण दिया जा रहा है और कैदियों की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए जेल को नियमित तौर पर रोगाणुमुक्त किया जाता है।
कोविड से निपटने के लिए उचित उपकरण / सामग्री उपलब्ध करवाई गई है जिसमें जेलों में बने 50,000 मास्क और अन्य संस्था, एन.जी.ओज आदि द्वारा इतनी ही संख्या में दिए गए मास्क शामिल हैं। लगभग 7000 लीटर सैनीटाईजर और ऑक्सीमीटर भी सभी जेलों को प्रदान किये गए हैं। डिफेंस रिसर्च एंड डिवैल्पमैंट आर्गेनाइजेशन (डी.आर.डी.ओ.), चंडीगड़ऽद्वारा 50 पीपीई किटें दान कीं और खालसा एड द्वारा लगभग 920 बॉडी सूट दिए गए हैं।
प्रवक्ता ने आगे कहा कि हर कैदी को कम से कम 2 मास्क प्रदान किये गए हैं और उच्च जोखिम वाले कैदियों की विशेष देखभाल की जा रही है। संक्रमण को और फैलने से रोकने के लिए, इंटरव्यू (मुलाकतें) को पूरी तरह बंद कर दिया गया है और यह अब व्हाट्सऐप वीडियो कॉलिंग द्वारा या ईप्रिजन सॉफ्टवेयर के ईमूलाकात के द्वारा मुलाकातें करवाई जा रही हैं। जेल के सभी अधिकारियों को पहले ही विस्तृत निर्देश जारी किये गए हैं कि वह छुट्टी के समय अपने घरों के अलावा अन्य स्थानों पर जाने से बचें और मजबूरी की स्थिति में उनको जेल के प्रमुख को सूचित करना होगा।
स्क्रीनिंग और पहचान संबंधी बोलते हुए प्रवक्ता ने कहा कि सभी कैदियों को किसी भी विशेष जेल में दाखिल करने से पहले उनकी कोरोना जांच की जाती है। राज्य की अलग-अलग इमारतों / थाना को अस्थाई जेल बनाया गया है जिससे नये दाखिला वाले कैदी का नमूना लेकर टैस्ट करवाने और टैस्ट की रिपोर्ट आने तक वहाँ रखा जा सके। इसी तरह हाल ही में सभी अधिकारियों की जांच लाजिमी कर दी गई है। 19 जुलाई को, तकरीबन 1362 अधिकारियों की जांच की गई, जिनमें से 564 की रिपोर्टें प्राप्त हुईं और 7 पॉजिटिव पाए गए हैं और 821 कर्मचारियों की रिपोर्टें अभी आनी बाकी हैं।
पंजाब की जेलों में तकरीबन 70 कैदी पॉजिटिव पाए गए हैं। हालाँकि, अब तक के नतीजों के मुताबिक, जेलों के अंदर कोई भी कैदी किसी कोविड मरीज के संपर्क में आया नहीं लग रहा परन्तु फिर भी नये दाखिल हुए कैदी की जांच भी की जा रही है कि वह किसी कोरोना मरीज का संपर्क तो नहीं है। जेलों में 19 जुलाई से कैदियों की रैंडम टेस्टिंग शुरू हो चुकी है। नतीजे के तौर पर, 5479 कैदियों की जांच की जा चुकी है और 4287 कैदियों की रिपोर्टें नेगेटिव आईं हैं और बाकी कैदियों की रिपोर्टों का इन्तजार है।
इलाज और रोकथाम को तीन आयामी रणनीति के एक हिस्से के तौर पर उजागर करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि राज्य भर में वैकल्पिक एकांतवास सहूलतें रखी गई हैं। अगर एक कैदी किसी भी जेल में पॉजिटिव पाया जाता है, तो उसे स्थानीय आइसोलेशन केंद्र भेजा जाता है। प्रभावित कैदी से बैरक साझा करने वाले सभी कैदियों को तुरंत संबंधित अलटरनेट आइसोलेशन सुविधा में भेज दिया जाता है ताकि अपनी सेहत का ध्यान रख सकें और बाकी कैदियों से अपने आप को अलग कर सकें।
इन सहूलतों को उक्त मंतव्य के लिए अस्थायी जेलों के तौर पर घोषित किया गया है। प्रवक्ता ने आगे कहा कि सभी जेलों में एक स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल तैयार और प्रसारित किया गया है और यदि कोई कैदी / अमला जेल केे अंदर प्रभावित पाया जाता है तो इसका पालन किया जा सके।

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