उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए लोकतांत्रिक शासन में बाधा थे
कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के सामूहिक प्रयास से अनुच्छेद 370 को हटाने में मदद मिली- उपराष्ट्रपति
अनुच्छेद 370 अब हमारे संविधान का हिस्सा नहीं है, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना हकीकत में बदल गया है – उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जम्मू और कश्मीर में विकास को पक्षपातपूर्ण हितों से पूरी तरह से अलग कर दिया गया है
जम्मू-कश्मीर के लोग अपने पारिस्थितिकी के कारण दिव्यांग थे, आज उनकी स्थिति बदल गई है- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने राजनीति को प्रगति में बाधक बनने की इजाजत न देने के लिए आगाह किया
उपराष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि किसी भी देश के विकास के लिए पांच मानदंड या ‘पंचतंत्र’ आधार हैं- शांति, कानून की समानता, शासन में पारदर्शिता, योग्यता के पक्ष में पारिस्थितिकी तंत्र, महिलाओं का सशक्तिकरण,
उपराष्ट्रपति ने आज कठुआ में “उत्तर भारत में उभरते स्टार्टअप रुझान” पर बायोटेक स्टार्टअप एक्सपो का उद्घाटन किया
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका द्वारा निभाई गई सामूहिक भूमिका की सराहना की और इन प्रावधानों को ‘लोकतांत्रिक शासन में बाधाएं’ बताया। उपराष्ट्रपति ने कहा, संविधान के एक अस्थायी प्रावधान के रूप में जो अपनाया गया था वह राष्ट्र के लिए हानिकारक हो गया, इसने एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जिसने क्षेत्र के लोगों को विकलांग बना दिया।
उपराष्ट्रपति ने कहा, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर में सरकार द्वारा की गई सक्षम पहलों के परिणामस्वरूप “विकास पूरी तरह से पक्षपात से मुक्त हो गया है”। यह स्वीकार करते हुए कि प्रत्येक व्यक्ति को राजनीति में भाग लेने का अधिकार है, उपराष्ट्रपति ने आगाह किया कि राजनीति को प्रगति में बाधा नहीं बनने देना चाहिए।
इस अवसर पर केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, डॉ. राजेश गोखले, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सचिव, डॉ. एन. कलैसेल्वी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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