एमसीएम ने दिवाली उत्सव और एंटी-क्रैकर जागरूकता रैली के साथ दीपावली मनाई
उत्सव की भावना को ध्यान में रखते हुए, मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर विमेन, चंडीगढ़ की चरित्र निर्माण समिति ने दो दिवसीय दिवाली उत्सव का आयोजन किया। जिसमें पहले दिन प्रेरणा, ग्रीन एम्बेलिशमेंट, रंगोली और गिल्ट फ्री स्वीट्स प्रतियोगिताओं का आयोजन किया।
प्रतियोगिता प्रेरणा में , विद्यार्थियों ने अपनी रचनात्मकता का प्रयोग करते हुए एपिक इंडियन लिटरेचर से अपनी पसंदीदा महिला पात्रों का अभिनय किया। ललित कला विभाग के सहयोग से आयोजित ग्रीन एम्बेलिशमेंट प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने रिड्यूस, रीयूज और रीसायकल की अवधारणा का पालन करते हुए घर की सजावट के सामान बनाए। रंगोली मेकिंग में प्रतिभागियों ने ‘स्वच्छ भारत’ विषय पर सुंदर और प्रभावशाली रंगोलियाँ बनाई गयीं । गृह विज्ञान विभाग के सहयोग से गिल्ट फ्री स्वीट्स प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने स्वस्थ को ध्यान में रख कर मिठाइयाँ बनाईं।
उत्सव के दूसरे दिन, विद्यार्थियों ने अपने उद्यमशील कौशल का प्रदर्शन करते हुए भोजन, हथकरघा, टैरो रीडिंग, नाखून कला, खेल, आभूषण, इत्यादि जैसे विभिन्न वस्तुओं के लगभग 40 स्टाल लगाए। इस कार्यक्रम में ओपन माइक भी आयोजित किया गया जिसमें प्रतिभागियों ने अपनी अद्भुत प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। एक अन्य सार्थक आयोजन में कॉलेज की एनएसएस इकाइयों ने इको-क्लब ‘परिवेश’ के सहयोग से अंगीकृत गाँव बधेरी, सेक्टर 41-डी, चंडीगढ़ में एंटी-क्रैकर जागरूकता रैली का आयोजन किया। रैली का मुख्य उद्देश्य पटाखों के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करना था जिसमें ध्वनि और वायु प्रदूषण, मानव और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए खतरा और पर्यावरण पर समग्र प्रभाव शामिल हैं। रैली में पदाधिकारियों के साथ लगभग 42 एनएसएस स्वयंसेवकों ने रंग-बिरंगे पोस्टर लेकर रैली में भाग लिया और प्रदूषण मुक्त दिवाली, हर जगह खुशहाली; इस दिवाली पेड़ लगाये, पटाखे न चलाएँ, जैसे विचारोत्तेजक नारे लगाए । युवा इको-योद्धा वहाँ के निवासियों विशेषकर बच्चों से भी मिले और उन्हें ख़ुशियों से भरी, उज्ज्वल और प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रिंसिपल डॉ. निशा भार्गव ने सतत पर्यावरण सुनिश्चित करने वाली रीतियों को अपनाकर पृथ्वी को बचाने के लिए एक सक्रिय रुख अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और यह भी बताया कि पर्यावरण के अनुकूल दिवाली मनाना एक ऐसी प्रथा है। उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि युवा पृथ्वी के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पहचानेंगे और विभिन्न अवसरों को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाएँगे।

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