आखिरकार कौन लोग कोरोना महामारी के दौरान भगवान के मंदिरों को ही क्यों कोस रहे हैं, क्यों ऐसा वातावरण बना रहे हैं कि भगवान के मंदिर व्यर्थ हैं, आखिर वह क्या चाहते हैं, किसको और क्या दिखाना चाहते हैं ?

Mandir Vs Hospital

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आखिर कौन लोग मंदिर बनाम हास्पीटल का मुद्दा बना रहे हैं !

चंडीगढ़, 18 मई: आखिरकार कौन लोग कोरोना महामारी के दौरान भगवान के मंदिरों को ही क्यों कोस रहे हैं, क्यों ऐसा वातावरण बना रहे हैं कि भगवान के मंदिर व्यर्थ हैं, आखिर वह क्या चाहते हैं, किसको और क्या दिखाना चाहते हैं ?

क्या आपको पता है  सोमनाथ मंदिर ने 1 करोड़,  स्वामी नारायण मंदिर ने 1.50 करोड़, वैष्णों देवी मंदिर ने 600 बैड, रानी सती मंदिर ने 100 बैड और तो और राम जन्म भूमि मंदिर ने तो अपनी जगह को ही आक्सीजन प्रोडक्शन फैसिलिटी में कन्वर्ट करने का फैसला किया है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को भी इसी विचार धारा के लोग बुरी तरह से कोस रहे हैं, परंतु आज हम अपको बताना चाहेंगे कि इस महामारी के दौरान दुनिया में सबसे बड़ा कोविड सेंटर भी आरएसएस द्वारा ही चलाया जा रहा है। महारानी आहिल्या बाई कोविड केयर सेंटर, जिसमें 6000 बैडों व चार बड़े आक्सीजन प्रोडक्शन फैसिलिटी है।

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राम जन्म भूमि में हो रहे राम मंदिर निर्माण में सरकार द्वारा एक भी पैसा नहीं लगाया गया, बल्कि मंदिर का निर्माण करोड़ों श्रद्धालुओं द्वारा अपनी जेब से किया जा रहा है।

कोरोना महामारी में सारी बात मंदिरों पर क्यों उठे, एक सच जो आज हम आपके सामने रखना चाहते हैं। भारत सरकार के बाद दूसरा सबसे बड़ा लैंड ऑनर है कैथेलिक चर्च, यह देश का सबसे बड़ा नॉन एग्रीकल्चर लैंड ऑनर है, जिसकी जमीन की कीमत कई लाख करोड़ रुपए है।

cathelic church

हमने आजतक नहीं देखा कि इस जमीन और पैसे को समाज की भलाई के लिए लगाया गया हो, क्या यह लॉजिक सिर्फ मंदिरों पर चलता है। वहीं पंजाब में दुनिया का सबसे बड़ा चौथा चर्च स्थापित होने जा रहा है, जिसकी कीमत कई हजार करोड़ रुपए होगी,  उस पर तो किसी ने सवाल नहीं उठाया।

भारत सरकार और कैथेलिक चर्च के बाद सबसे बड़ा लैंड ऑनर है वक्फ बोर्ड आफ इंडिया, जिसकी जमीनों की कीमत कई लाख करोड़ रुपए है तथा इसकी जमीनें वक्फ एक्ट के अंतर्गत बढ़ती ही जा रही है। क्या उस जमीनों से समाज का भला हुआ? क्या उन जमीनों पर कोई अस्पताल बना? क्या जमीनों का टैक्स सरकार के काम आया? हमारी सरकारें तो कई हज हाऊज बनाने में व्यस्त है, दिल्ली और बंगलूर में कई हज हाऊज तैयार हो चुके हैं, क्या इसके बारे में किसी पास कोई जूं तक रेंगी। 1947 से लेकर अब तक मुसलमानों की संख्या में 200 गुणा की बढ़ोतरी हुई है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि किसी भी इस्लामिक देशों की तुलना में यह बहुत ज्यादा है। इस बारे किसी को कोई परवाह नहीं है।

आज मंदिर सरकारों के कंट्रोल में है, मंदिर टैक्स भी दे रहे हैं, आपदा आने पर लोगों की मदद भी कर रहे हैं, तथा छदम धर्मनिरपेक्ष लोगों  के सवालों का सामना भी कर रहे हैं।

अब समय आ गया है, अपने सवालों की दिशा मोडऩे का वक़फ बोर्ड  और चर्च की तरफ और लोगों की सोच को बदलने का