विभिन्न प्रदेशों से आए कलाकारों और शिल्पकारों की कला ने ब्रह्म सरोवर तट को बनाया इंद्रधनुष

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शिल्पकारों की अनोखी हस्त शिल्पकला को देखकर मंत्रमुग्ध हुए पर्यटक

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव ने विश्व पटल पर बनाई एक अलग पहचान, प्रदेश ही नहीं, देश-विदेश में भी सुनाई दी महोत्सव की गूंज

चण्डीगढ़, 28 नवंबर 2025

ब्रह्म सरोवर के पावन तट पर 15 नवंबर से 5 दिसंबर 2025 तक चल रहे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों से आए कलाकारों और शिल्पकारों ने इस महोत्सव में ब्रह्म सरोवर के तटों को इंद्रधनुष की तरह सजाने का काम किया है। इंद्रधनुष के सातों रंगों की तरह ब्रह्म सरोवर के तट पर भी अलग-अलग रंग देखे जा सकते हैं। सहयोगी राज्य मध्य प्रदेश और एनजेडसीसी के कलाकारों द्वारा अपने-अपने प्रदेशों की लोक संस्कृति को दिखाने का काम किया जा रहा है।

ब्रह्म सरोवर के पावन तट पर 15 नवंबर से 5 दिसंबर, 2025 तक चल रहे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ने विश्व पटल पर अपनी एक अलग छाप छोड़ी है, महोत्सव की यह गूंज प्रदेश ही नहीं बल्कि देश विदेश में भी सुनाई दे रही है। इतना ही नहीं महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों से आए शिल्पकारों की अनोखी हस्त शिल्प कला को देखकर पर्यटक मंत्र मुग्ध हो रहे हैं।

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड और जिला प्रशासन द्वारा इन शिल्पकारों और लोक कलाकारों के साथ-साथ महोत्सव में आने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। इतना ही नहीं सूचना जनसंपर्क भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा महोत्सव के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।

श्री गुरु तेग बहादुर जी के जन्म से लेकर शहादत तक के जीवन के हर लम्हे प्रदर्शनी में को दिखाया

कुरुक्षेत्र की पावन धरा ज्योतिसर में श्री गुरु तेग बहादुर जी के जन्म से लेकर शहादत तक के सफर के हर लम्हे को दिखाया गया है। यह पहला ऐसा अवसर है, जब किसी प्रदर्शनी में श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज के जन्म पर, शास्त्र और शस्त्र विद्या पर बारीकी से प्रकाश डाला गया है। यह प्रदर्शनी सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की तरफ से श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष को समर्पित की गई है। इस प्रदर्शनी को रोजाना सैकड़ों लोग देखने के लिए ज्योतिसर पहुंच रहे हैं।

पत्थर के चूरे को शिल्पकला से दिया भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 में राजस्थान के अजमेर जिले से शिल्पकार सुधीर और वर्षा ने स्टोन ग्रोईंग की शिल्पकला को रखा है। पत्थर के चूरे को शिल्पकला से भगवान श्रीकृष्ण, गौतम बुद्ध सहित अन्य महान लोगों का स्वरूप दिया गया है। इस शिल्पकला से प्रभावित होकर राजस्थान सरकार ने शिल्पकार सुधीर और वर्षा को स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया। इन दोनों शिल्पकारों ने समय की मांग के अनुसार पत्थर के चूरे से मूर्तियों के साथ-साथ अब पेंटिंग बनाने का भी कार्य शुरु किया है। अहम पहलू यह है कि इस मुकाम तक पहुंचने में प्रधानमंत्री रोजगार योजना ने अहम भूमिका अदा की है। इस योजना से शिल्पकारों को आर्थिक सहायता मिल पाई और इस आर्थिक सहायता के बल पर ही अपनी मंजिल तक पहुंच पाए हैं।

उन्होंने बातचीत करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव से पिछले 17 सालों से नाता रहा है, यहां की आबो हवा और व्यवस्था उन्हें बेहद पसंद है। इस वर्ष 5डी पेंटिंग तैयार करके लाए हैं। इस पेंटिंग को देखने से ऐसा महसूस होता है कि जैसे कोई भी दृश्य एक दम उनके सामने खड़ा हो।

पवित्र ग्रंथ गीता जीवन के मूल सिद्धांतों, नैतिक मूल्यों और आदर्शों से कराती है परिचित – ज्ञानानंद महाराज

भागवत गीता अनुष्ठान के तीसरे दिन का गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने दीप प्रज्वलित कर किया शुभारम्भ

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने बताया कि पवित्र ग्रंथ गीता हमें जीवन के मूल सिद्धांतों, नैतिक मूल्यों और आदर्शों से परिचित कराती है। इस ग्रंथ के उपदेश हमें धर्म, कर्तव्य और निष्काम कर्म के महत्व को समझते हुए एक सार्थक जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज आज ब्रह्म सरोवर के पुरुषोत्तम बाग में आयोजित पांच दिवसीय भागवत कथा पाठ के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले उन्होंने दीप प्रज्वलित कर व गीता पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि गीता में समाहित ज्ञान में ही विश्व शांति और सद्भावना का मार्ग निहित है। यह हमें द्वेष, भय और मोह से मुक्त होकर समभाव से जीवन जीने की शिक्षा देती है जो वैश्विक एकता के लिए अत्यंत आवश्यक है।