धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की 48 कोस के तीर्थों के प्रदर्शनी स्टाल पर उमड़ रहा पर्यटकों का हुजूम

धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र
धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की 48 कोस के तीर्थों के प्रदर्शनी स्टाल पर उमड़ रहा पर्यटकों का हुजूम

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चंडीगढ़, 12 दिसंबर 2021

आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की 48 कोस की परिधि में आने वाले तीर्थ स्थलों की जानकारी देने के लिए ब्रह्मसरोवर के निकट पुरुषोत्तमपुरा बाग में प्रदर्शनी स्टाल लगाया गया है। इस स्टाल पर हर रोज हजारों पर्यटक पहुंचकर तीर्थ स्थलों के इतिहास के बारे में जानकारी ले रहे हैं। इनमें विदेशी पर्यटकों की संख्या देशी पर्यटकों से काफी अधिक है। प्रदर्शनी स्टाल पर मौजूद कर्मचारी पर्यटकों को कुरुक्षेत्र की 48 कोस की परिधि में आने वाले हर तीर्थ स्थल के संदर्भ में विस्तार से जानकारी देकर उनकी जिज्ञासा को शांत कर रहा है।

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प्रदर्शनी स्टाल में पर्यटकों को प्रत्येक तीर्थ स्थल के सम्बन्ध में सहजता से जानकारी प्राप्त हो सके इसके लिए होर्डिंग्स लगाए गए हैं। इन होर्डिंगों पर हर तीर्थ स्थल के बारे में संक्षिप्त विवरण लिखा गया है ताकि पर्यटक किसी भी समय आकर तीर्थ स्थलों की जानकारी हासिल कर सकें। प्रदर्शनी स्टाल में कुरुक्षेत्र भूमि के अन्तर्गत आने वाले 7 प्रमुख वनों के बारे में भी बताया गया है। इन वनों में कामयक वन, शीत वन, सूर्य वन, व्यासका, फलकी वन, मधु वन, आदिती वन शामिल हैं। इन वनों का इतिहास किसी न किसी प्राचीन घटना के साथ जुडा हुआ है। कुरुक्षेत्र की 48 कोस की परिधि की चारों दिशाओं में एक-एक यक्ष हैं। इसी भूमि को कुरुक्षेत्र भूमि कहा जाता है।

बीड पिपली में रन्तुक यक्ष, बेहरज में अरन्तुक यक्ष, पोखरी खेडी में कपिल यक्ष तथा सीख गांव में मचकु्रक यक्ष स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि ये चारों यक्ष कुरुक्षेत्र भूमि के पहरेदार हैं और इस भूमि को हर प्रकार की मुसीबत से बचाने का कार्य करते हैं। प्रदर्शनी स्टाल में यह भी बताया गया है कि इंडोनेशिया देश में भी महाभारत के महा नायक अर्जुन, सिखंडी, युद्घिष्ठर, सुभद्रा के मंदिर स्थापित है। इनके अलावा भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश के मंदिर भी दुनियां के कई देशों में पाए जाते हैं जो प्रदर्शित करते हैं कि महाभारत की ख्यति दूर-दूर तक फैली हुई थी।

भगवान श्रीकृष्ण के श्रृंगार व वस्त्रों को खूब चाव से खरीद रहे ही पर्यटक

अंतर्राट्रीय गीता महोत्सव में पंहुचे शिल्पकार व हस्तशिल्पी जहां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं, वहीं हर बार की तरह गुजरात से आई वंदना ठक्कर ने 15 नम्बर पर बाल-गोपाल वस्त्र की स्टाल लगाई है, जिस पर महोत्सव में पंहुचने वाले श्रद्घालु खींचे चले जा रहे हैं और भक्ति भाव से भगवान श्रीकृष्ण के श्रृंगार व वस्त्रों को खरीद रहे हैं।

वंदना ठक्कर ने जानकारी देते हुए बताया कि गुजरात में श्री खुडिय़ार एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से करीब 20 गांवों की 180 महिलाएं इन वस्त्रों को अपने हाथों से बनाती हैं। इसके साथ-साथ गुजरात की धूप व अगरबत्तियां भी बनाई जाती हैं। वे लगभग दस साल से इस महोत्सव में पंहुच रही हैं।

रविदास मंदिर एवं धर्मशाला के स्टॉल पर मिल रही है संत महात्माओं के जीवन परिचय की सामग्री

करम बंधन में बंध रहियो, फल की ना तज्जियों आस, कर्म मानुष का धर्म है, सत भाखै रविदास॥, यह जानकारी गुरू रविदास मंदिर एवं धर्मशाला कुरुक्षेत्र द्वारा स्टाल नम्बर 107-108 पर लगाई गई प्रदर्शनी में मिल रही है। प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है और गीता महोत्सव में आने वाले पर्यटक प्रदर्शनी में संत महात्माओं के जीवन परिचय एवं उनके द्वारा दिए उपदेशों को बारीकी से जानकारी ले रहे है।

प्रदर्शनी में गुरु रविदास एवं अन्य संत महात्माओं की जीवनियों पर आधारित साहित्य व प्रचार सामग्री भी लोगों उचित मूल्य पर उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रदर्शनी के संयोजक राजेश राठी ने बताया कि प्रदर्शनी में डिस्पले किए गए फ्लैक्स व अन्य प्रचार सामग्री के द्वारा गुरु रविदास जी की वाणी को एवं प्रवचनों को प्रदर्शित किया गया है जिससे की प्रदर्शनी देखने आने वाले लोगों को गुरु रविदास जी की जीवनी के बारे जानकारी मिल पाए।