मुख्यमंत्री ने बेअदबी और पुलिस गोलीकांड मामलों में ए.जी. और अन्य वकीलों पर लगाए गए दोषों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए रद्द करार दिया 

chief minister punjab Captain Amrinder Singh

संकुचित हितों के लिए विधानसभा चुनावों से पहले संकट खड़ा करने के लिए संवेदनशील मुद्दे पर लोगों की भावनाओं को भडक़ाने की भद्दी कोशिश बताया

चंडीगढ़, 14 अप्रैल:

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बुधवार को एडवोकेट जनरल अतुल नन्दा और कोटकपूरा गोलीकांड घटना की जाँच का बचाव करने वाली लीगल टीम के खि़लाफ़ लगाए गए अनावश्यक दोषों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताते हुए रद्द करार दिया।

ए.जी. और केस लडऩे के लिए राज्य सरकार द्वारा लिए गए अन्य वकीलों की की जा रही नाजायज़ आलोचना का सख़्त जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने विरोधी पार्टियों और उनके नेताओं की निंदा की जो 2022 विधानसभा चुनावों से पहले जानबूझ कर संवेदनशील मुद्दे पर लोगों की भावनाओं को उकसा रहे हैं, जिससे मुसीबत खड़ी की जा सके।

बेअदबी के मामलों के अलग-अलग पहलुओं पर जानबूझ कर गुमराह करने वाले बयानों के द्वारा राज्य के लोगों को गुमराह करने की कोशिश को संकुचित हितों से प्रेरित और बेशर्मी से खेली जा रही चाल करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संकुचित राजनैतिक हित लोगों को उलझाने के लिए बातों को उलझा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन संकुचित राजनैतिक हितों की पूर्ति करने वालों जिनमें अकाली दल और आम आदमी पार्टी शामिल हैं, द्वारा पेश की जा रही तस्वीर के उलट सच्चाई यह है कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के मामले कोटकपूरा और बहबल कलाँ पुलिस गोली कांड मामलों से अलग तौर पर अदालतों में लड़े जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि ए.जी. और उनकी टीम सिफऱ् बेअदबी मामलों में ही जोकि पंजाब के लोगों के लिए एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है, अदालत में राज्य का पक्ष रखने की जि़म्मेदारी सौंपी गई थी और इस मामले को राज्य ने फ़ैसलाकुन ढंग से जीता था, जोकि 25 जनवरी 2019 को हाईकोर्ट के सिंगल जज बैंच द्वारा विस्तारपूर्वक फ़ैसले से ज़ाहिर होता है। इस तरह इस मामले की जाँच-पड़ताल करने के लिए उनकी सरकार द्वारा नियुक्त जस्टिस रणजीत सिंह जांच कमीशन द्वारा निकाले गए निष्कर्षों पर भी मोहर लग गई थी।

मुख्यमंत्री ने आगे हवाला देते हुए कहा कि सिंगल जज का फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट के स्तर तक सही माना गया था, जिसने राज्य सरकार को श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों की सी.बी.आई. से जाँच वापस लेने में मदद की थी। इसका सेहरा एडवोकेट जनरल और उनकी टीम के सिर है, जिन्होंनेे अदालत में सख़्त और प्रभावशाली ढंग से केस लड़ा और सी.बी.आई. जिसने पिछले चार सालों से इस मामले में कोई प्रगति नहीं की थी, को 5 फरवरी 2021 को केस से सम्बन्धित सभी दस्तावेज़ पंजाब पुलिस की विशेष जांच टीम को सौंपने के लिए मजबूर होना पड़ा।

इस बात की तरफ भी इशारा करते हुए कि बेअदबी मामलों की जांच अब कुंवर विजय प्रताप सिंह के नेतृत्व वाली नहीं बल्कि आई.जी. परमार के नेतृत्व वाली एक अलग एस.आई.टी. कर रही है, मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ताधारी पक्ष और इस घिनौनी घटना के दोषियों के बीच मिलीभुगत के सभी दोष अपने आप झूठे पड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि एडवोकेट जनरल और उनकी टीम के ठोस यत्नों के स्वरूप केस को तर्कपूर्ण निष्कर्ष पर ले जाया जाएगा और पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वाले दोषी व्यक्तियों को सज़ा दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि कोटकपूरा और बहबल कलाँ गोली कांड के मामलों के लिए एडवोकेट जनरल बचाव पक्ष में शामिल भी नहीं था, जोकि आपराधिक मामलों के वकील सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा, सीनियर एडवोकेट हरीन रावल और दिल्ली से अन्य वकीलों के नेतृत्व वाली विशेष कानूनी टीम द्वारा किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि दिल्ली के वकीलों की टीम भी पुलिस गोली कांड के मामलों की जांच के मामले में राज्य के बचाव के लिए निरंतर काम कर रही थी। उन्होंने कहा कि उनको गोली कांड के मामलों की जांच के लिए कुंवर विजय प्रताप सिंह के नेतृत्व वाली एस.आई.टी. में भी पूरा भरोसा था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एडवोकेट जनरल और उनकी टीम के साथ-साथ दिल्ली की कानूनी टीम को बदनाम करने के लिए कोरे झूठों और मनघड़ंत बातों का सहारा लेने वालों का पूरा एजेंडा बेअदबी और गोली कांड दोनों मामलों में दोषियों को सज़ा दिलाने सम्बन्धी राज्य सरकार की कोशिशों में रुकावटें खड़ी करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह यत्न सफल नहीं होंगे और बेकसूरों को इन्साफ मिलेगा, क्योंकि उनकी सरकार पंजाब के लोगों के साथ किए गए हरेक चुनावी वादे को पूरा करने के लिए वचनबद्ध है।