सरदार सुखबीर सिंह बादल और वरिष्ठ लीडरशीप की अगुवाई ने एस.वाई.एल पर बहस करने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास पर जाने की कोशिश में बड़ी बहादुरी से पुलिस बल और पानी की बौछारों को सामना किया

— अकाली दल अध्यक्ष ने एस.वाई.एल और राज्य की अन्य गंभीर चिंताओं पर उनके साथ बहस करने के बजाय केजरीवाल के साथ मध्य प्रदेश भागने के लिए मुख्यमंत्री की निंदा की

चंडीगढ़/10अक्टूबर:

शिरोमणी अकाली दल  की वरिष्ठ लीडरशीप और युवा स्वयंसेवकों ने आज सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर तथा राज्य से संबंधित अन्य ज्वलंत मुददों पर बहस करने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास पर जाने की कोशिश के दौरान उन पर प्रयोग किए गए बल और पानी की बौछारों का सामना किया।

जब पार्टी नेताओं को मुख्यमंत्री आवास के पास जाने से रोका गया तो अकाली दल अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने  आगे बढ़कर नेतृत्व किया और सड़क पर पार्टी कार्यकर्ताओं को भी संबोधित किया। उन्होने कहा कि यह बेहद निंदनीय है कि मुख्यमंत्री ने अकाली दल के साथ एसवाईएल नहर पर अपने विश्वासघात पर बहस करने के बजाय पंजाब से भागने का विकल्प चुना।

चंडीगढ़ की सड़कों पर ‘भज गया वी भज गया’ के नारे गूंज रहे थे, जबकि अकाली दल अध्यक्ष ने एक वाहन के उपर से सभा को संबोधित किया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने यह दिखाने के लिए गाड़ी पर मुख्यमंत्री के नाम वाली एक खाली कुर्सी रखी कि भगवंत मान किस तरह बहस से भाग गए हैं।

इस अवसर पर सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री ने मुझे एसवाईएल पर बहस करने की चुनौती दी, जिसे मैंने स्वीकार कर लिया और घोषणा भी कि मैं मामले के सभी पहलुओं पर बहस करने के लिए आज उनके आवास पर आउंगा। मैंने सोचा था कि मुख्यमंत्री उसी तरह हमारा स्वागत करेंगें जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल भगवंत मान और आप नेतृत्व सहित अपने आवास पर आने वाले प्रदर्शनकारियों से मिलते थे। लेकिन उन्होने मेरा और अकाली दल का सामना करने के बजाय अरविंद केजरीवाल के साथ मध्य प्रदेश भागने का फैसला किया।

यह कहते हुए कि पानी पंजाब के लिए एक प्राकृतिक संसाधन है, जैसे कोयला छतीसगढ़ के लिए और संगमरमर राजस्थान के लिए है, सरदार बादल ने कहा, ‘‘ इस संसाधन को 1955 से लगातार कांग्रेस सरकारों द्वारा एकतरफा रूप से हमसे छीन लिया गया, जबकि हमारी नदी का आधा पानी राजस्थान को दे दिया गया और फिर 1976 में जब शेष पानी का आधा हिस्सा हरियाणा को दिया गया’’। उन्होने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल ने पुनर्गठन अधिनियम के अनुच्छेद 78 को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में एक मामला दायर करके इस अन्याय को ठीक करने की कोशिश की थी, जो केंद्र सरकार को नए राज्यों को जल संसाधन आवंटित करने करने की शक्ति प्रदान करता है। उन्होने कहा, ‘‘ हालांकि 1981 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दरबारा सिंह पर इस मामले को सुप्रीम कोर्ट से वापिस लेने और एसवाईएल  नहर के निर्माण के लिए सहमति देने के लिए दबाव डाला, जिसके बाद 1982 में इंदिरा गांधी ने 1982 में इसका औपचारिक उदघाटन किया था’’।


यह कहते हुए कि आप कांग्रेस पार्टी द्वारा अपनाई गई लाइन का अनुसरण कर रही है। सरदार बादल ने कहा, ‘‘ आप आगामी विधानसभा चुनावों में राजनीतिक लाभ उठाने के लिए हरियाणा और राजस्थान को राज्य की नदियों का अधिक पानी देने को तैयार है’’। उन्होने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में एसवाईएल मामले पर सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री ने इस बात को स्वीकार किया था कि पंजाब सरकार ने हरियाणा को पानी देने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन विपक्ष के विरोध और एसवाईएल के लिए भूमि अधिग्र्रहण के मुददे पर जिसकी जमीन 2016 में सरदार परकाश सिंह बादल द्वारा किसानों को वापिस करने के कारण वह ऐसा करने में असमर्थ हैं।

सरदार बादल ने नशे के खतरे में अभूतपूर्व बढ़ोतरी के बारे बात की और कहा कि ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि आप विधायक ड्रग माफिया से महीना ले रहे थे और राज्य पुलिस को नशे के व्यापार में शामिल सरगनाओं को गिरफ्तार करने से रोक रहे थे। उन्होने कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री और राज्य के राज्यपाल के बीच मनमुटाव का असली कारण ड्रग भी हैं’’। उन्होने कहा कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को बताया था कि लुधियाना में शराब की दुकानों पर नशीले पदार्थ बेचे जा रहे हैं। ‘‘ हालांकि जब इस मामले में कोई कार्रवाई नही की गई तो राज्यपाल ने एनसीबी को सूचित किया जिसने लुधियाना में 66 दुकानों में खुलेआम बेचे जा रहे नशीले पदार्थ जब्त किए ’’।

अकाली दल अध्यक्ष ने यह भी बताया कि कैसे आप सरकार ने समाज के हर वर्ग को धोखा दिया है, जिसने पंजाबियों से किया कोई भी वादा पूरा नही किया है। उन्होने कहा कि सरकार राज्य की सभी महिलाओं को 1000 रूपये प्रति माह देने के अलावा बेरोजगारी भत्ता और 2500 रूपये प्रति माह बुढ़ापा पेंशन देने, सभी संविधा कर्मचारियों को नियमित करने , पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करने , दस दिनों में नशे का सफाया और वीवीआईपी सुरक्षा संस्कृति खत्म करने के अपने वादे को पूरा करने में विफल रही है।

सरदार बादल ने यह भी बताया कि किस तरह राज्य का वित्त फिजुलखर्ची में बर्बाद हो रहा है, जिसमें विज्ञापनों पर सालाना 750 करोड़ रूपये खर्च करना और अरविंद केजरीवाल के चुनाव अभियान को सुविधाजनक बनाने के लिए छह महीने की अवधि के लिए राज्य के खजाने से 120 करोड़ रूपये का जेट विमान किराए पर लेना शामिल है।

इस अवसर पर वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा और डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने भी संबोधित किया तथा बिक्रम सिंह मजीठिया, गुलजार सिंह रणीके , हीरा सिंह गाबड़िया और यूथ अकाली दल के अध्यक्ष सरबजीत सिंह झिंझर सहित अन्य लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।