हरसिमरत को कथित स्काॅलरशिप घोटाले पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं; कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्रीय मंत्री द्वारा सी.बी.आई. जांच की माँग को बेतुका बताते हुए उसकी कड़ी आलोचना की

Chief Minister Captain Amrinder Singh

पंजाब के बेअदबी मामलों और लक्षित कर किये कत्ल को सुलझाने में सी.बी.आई. के बुरे ट्रैक रिकार्ड का दिया हवाला
कहा, अगर केंद्रीय मंत्री को सच में चिंता है तो वह पोस्ट मैट्रिक एस.सी. स्काॅलरशिप स्कीम को बहाल करने के लिए केंद्र पर दबाव डाले
चंडीगढ़, 30 अगस्तः
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने रविवार को केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल द्वारा कथित स्काॅलरशिप घोटाले के मामले में की गई टिप्पणियों संबंधी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह राजनीति से प्रेरित बेतुके बयान से अधिक कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री को हर मामले में सी.बी.आई. से जांच की माँग करने की आदत पड़ चुकी है जिससे इस एजेंसी के विशेष रुतबे को और कमजोर किया जाता है जिसकी साख पहले ही भाजपा के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार में गिर चुकी है।
शिरोमणि अकाली दल की नेता की कड़ी आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्री के तौर पर अपने पद का पंजाब के हितों की रक्षा के लिए इस्तेमाल करने की बजाय हरसिमरत अपना सारा समय राज्य की लोगों की भलाई की कीमत पर अपने एन.डी.ए. सहयोगी के राजसी आकाओं को खुश करने में लगी रहती है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि कथित स्काॅलरशिप घोटाले के मामले में सी.बी.आई. की जांच की माँग करके उसने न सिर्फ अपने ही राज्य की अति समर्थ और पेशेवर पुलिस फोर्स और प्रशासन पर अविश्वास दिखाया है बल्कि यह भारत के कानूनी और न्यायिक सिद्धांतों के भी विरुद्ध है जो सिर्फ राज्य सरकार को ही जरूरत पड़ने पर सी.बी.आई. की जांच करवाने के लिए अधिकृत करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरसिमरत को इस मामले में बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं और वह सिर्फ राजसी स्टंट और प्रेरित बयान देकर पंजाब के लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।
पंजाब में अहम मामलों से निपटने में सी.बी.आई. के बुरे ट्रैक रिकार्ड का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी आर.एस.एस. नेता ब्रिगेडियर (सेवा मुक्त) जगदीश कुमार गगनेजा के कत्ल समेत चार लक्षित कर किये कत्ल के मामले में से एक को भी हल करने में असफल रही थी जो उनको अकाली सरकार के दौरान सौंपे गए थे।
कैप्टन अमरिन्दर ने बेअदबी के मामलों में पहले मामलों की जांच केंद्रीय एजेंसी के हवाले करने और फिर अपने हितों अनुसार मामलों के हल किये बिना क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करके सिख कौम को निराश करने के लिए हरसिमरत की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इन मामलों को सुलझाने के लिए आखिरकार पंजाब पुलिस पर छोड़ दिया गया है और पुलिस फोर्स इस सम्बन्धी बढ़िया काम कर रही है, यहाँ तक कि कुछ सीनियर पुलिस अधिकारियों को इन मामलों में सम्मिलन के लिए हिरासत में लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब भी सी.बी.आई. स्पष्ट तौर पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर इन बेअदबी मामलों की जांच में रुकावट पैदा करने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘अगर हरसिमरत पंजाब के लोगों के हितों की रक्षा के लिए इतनी उत्सुक है, जैसे कि वह दावा करती है, तो वह पंजाब पुलिस को इस सम्बन्धी दस्तावेज सौंपने के लिए सी.बी.आई. पर दबाव डालने के लिए केंद्र सरकार में अपने पद का लाभ क्यों नहीं उठा रही जिससे बेअदबी मामलों में जांच में आगे की कार्यवाही की जा सके।’’
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार कथित स्काॅलरशिप घोटाले की पूर्ण और निष्पक्ष जांच के लिए वचनबद्ध है और दोषी पाए गए व्यक्तियों के खिलाफ पद का लिहाज किये बिना कार्यवाही की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पोस्ट मैट्रिक एस.सी. स्काॅलरशिप के मामले में भी न तो हरसिमरत और न ही उनकी पार्टी ने केंद्र सरकार को इस योजना को वापस लेने से रोकने की कोशिश की जिससे लाखों एस.सी. विद्यार्थी उच्च शिक्षा के अधिकार से वंचित हो जाएंगे। उन्होंने कहा ‘‘उस समय हरसिमरत कहाँ थी? उस समय उसने कोई टिप्पणी क्यों नहीं की?’’ उन्होंने कहा कि हरसिमरत को बेवजह बयानबाजी करने और निराधार दोष लगाने की बजाय इस योजना को फिर से बहाल करने के लिए केंद्र में आवाज उठानी चाहिए।
कैप्टन अमरिन्दर ने केंद्र के ताजा किसान विरोधी आॅर्डीनैंसों का हवाला देते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद हरसिमरत ने कभी भी पंजाब के लोगों के भले की खातिर सोचने का कष्ट नहीं किया। उन्होंने कहा कि अकाली सक्रियता से भाजपा की हिमायत करते आए हैं जो कृषि आॅर्डीनैंसों का विरोध करने के लिए राज्य द्वारा पास किये गए प्रस्ताव की हिमायत करने के लिए विधानसभा के सैशन में भी शामिल नहीं हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मामले की हकीकत यह है कि हरसिमरत और उसकी पार्टी अकाली दल को सिर्फ अपने राजनैतिक हितों को बढ़ावा देने की चिंता है। सी.ए.ए. से लेकर कृषि आॅर्डीनैंसों तक उसने और उसकी पार्टी ने दोहरे मापदंड अपनाए हैं और बार-बार सिद्धांतों की कमी जाहिर की है।