श्री पीयूष गोयल ने कहा- फार्मा उद्योग और ऑक्सीजन उत्पादकों को अपने परिचालन को जारी रखने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए; रेलवे को राहत सामग्री पहुंचाने और मदद मुहैया कराने के लिए तैयार रहने को कहा;
श्री मनसुख मंडाविया ने न्यूनतम नुकसान के लिए पूर्व-योजना बनाने और पूर्व-तैनाती किए जाने पर जोर दिया
दिल्ली, 16 मई, 2021:
केंद्रीय रेल, वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल और बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने आज उद्योग जगत के प्रमुखों के साथ बेहद प्रचंड चक्रवाती तूफान ‘तौकाते’ (तौते के रूप में उच्चारित) के संभावित प्रभाव और इनका सामना करने की तैयारियों पर वार्तालाप किया। यह बैठक माननीय प्रधानमंत्री के निर्देश पर बुलाई गई थी। बैठक में भारतीय मौसम विभाग, बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय, रेल मंत्रालय, एनडीएमए के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा राज्यों एवं दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक ने बताया कि “तौकते” के उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ते हुए 17 मई की शाम को गुजरात तट पर पहुंचने और 18 मई की सुबह के आसपास 150 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति की तीव्र हवाओं, भारी वर्षा और उच्च ज्वार की लहरों के साथ गुजरात के तटीय क्षेत्र पोरबंदर और महुवा (भावनगर जिले) के बीच से होकर गुजरते हुए इस क्षेत्र को पार करने की संभावना है। एनडीएमए ने प्रभावित क्षेत्रों में किए जाने वाले राहत और बचाव कार्यों और क्षेत्र में एनडीआरएफ की विभिन्न टीमों की तैनाती के लिए अपनी तैयारियों की जानकारी दी। बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने स्थिति का आकलन करते हुए इससे प्रभावी और समयबद्ध तरीके से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। राज्यों के अधिकारियों ने बताया कि उनके द्वारा स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है और प्रशासन आपात स्थितियों से निपटने के लिए तैयार है। उद्योग जगत प्रमुखों ने भी कुछ सुझाव दिए और चक्रवात के प्रभाव से निपटने और इसे कम करने के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी दी।
बैठक में वर्तमान में जारी कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, ऑक्सीजन की निरंतर उपलब्धता, दवाओं और आवश्यक वस्तुओं के प्रमुख भंडार को बनाए रखने और तूफान से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में रोगियों की देखभाल को निरंतर बनाए रखने के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। बैठक में संचार सुविधाओं और अन्य उपयोगी सुविधाओं के सुचारू रूप से कार्य करने पर भी विचार-विमर्श किया गया।
श्री पीयूष गोयल ने कहा कि उद्योग जगत के प्रतिभागियों और राज्य के अधिकारियों द्वारा व्यक्त किए गए विचार इस तरह की प्राकृतिक आपदा से प्रभावी तरीके से निपटने में उनके विश्वास और तत्परता को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि बिजली पर ध्यान देना मुख्य रूप से फोकस क्षेत्र होगा, क्योंकि सुरक्षा कारणों से इसे कुछ समय के लिए बंद करना पड़ता है, लेकिन स्थितियों के अनुसार इसे जल्द से जल्द बहाल किया जाना चाहिए। मंत्री महोदय ने कहा कि बेहतर संचार के लिए रणनीतिक स्थलों पर सैटेलाइट फोन को उपलब्ध कराने में उद्योग जगत को महारथ हासिल है। उन्होंने इस तथ्य पर संतोष व्यक्त किया कि उद्योग ने आपदा की इस अवधि के लिए आपातकालीन उपकरणों और ईंधन का भंडारण भी किया है। श्री गोयल ने सभी से ज़मीनी स्तर पर निगरानी बनाए रखते हुए सहयोग की भावना से कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि चक्रवात के बाद इसका अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी प्रभाव हो सकता है, और इसलिए सभी से अनुरोध किया कि जमीनी स्थिति की निगरानी करें और स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों की पूर्ण सहायता करें। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि तरल चिकित्सा ऑक्सीजन, फार्मा उद्योग के उत्पादन में शामिल सभी लोगों और फार्मा उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला में सिलेंडर या अन्य चिकित्सा उत्पाद बनाने वाले सभी लोगों को अपना संचालन जारी रखने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्राधिकरणों की हेल्पलाइनों को हर समय तैयार रहना चाहिए, और हर स्थिति का जवाब सहानुभूतिपूर्ण तरीके से दिया जाना चाहिए। उन्होंने रेलवे अधिकारियों से स्थिति पर करीबी निगरानी बनाए रखने और कम से कम समय में आवश्यक वस्तुओं को प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए तैयार रहने एवं किसी भी स्थिति में सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया। श्री पीयूष गोयल ने कहा कि चक्रवात की दिशा पर निगरानी के लिए 24X7 नियंत्रण कक्ष पहले से ही कार्य कर रहा है, जबकि संपत्तियों (ओएचई और ट्रैक) की देखभाल के लिए त्वरित गश्त शुरू कर दी गई है। ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रेलवे ने भी कई उपाय किए हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि राहत सामग्री का वितरण सही तरीके से किया जाए ताकि आम आदमी को राहत मिले और बेईमान तत्व इसका फायदा न उठा सकें। उन्होंने सभी बड़े उद्योगों से छोटे उद्योगों, आपूर्तिकर्ताओं और उनके आसपास के उद्योग संघों की मदद करने के लिए अपने स्थानीय क्षेत्र की देखभाल करने का आग्रह किया।
श्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि पश्चिमी भारत के तटीय क्षेत्रों में बहुत सारे उद्योग हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें राहत और बचाव अभियान चलाने के लिए सुसज्जित हैं और इन्हें संचालित करने का उनके पास समृद्ध अनुभव भी है। हालांकि, उन्होंने पूर्व-योजना बनाने और पूर्व-तैनाती किए जाने पर जोर दिया ताकि आवश्यक उपकरणों, कार्गो या लोगों को होने वाले नुकसान को कम से कम किया जा सके।

English






