उपराष्ट्रपति का भाषण – इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर का स्थापना दिवस

Delhi, 20 JAN 2024 

मैं अन्नदाता को प्रणाम करता हूं, मैं अन्नदाता का सम्मान करता हूं, मैं अन्नदाता का अभिनंदन करता हूं!

आज के दिन हालत यह है कि किसान दूध, दही, ज्यादा से ज्यादा छाछ, सब्जी और कृषि उत्पादों तक सीमित हैं। इनके जो वैल्यू एडिक्शन होते हैं, वह किसान नहीं कर रहे हैं। इसकी शुरुआत यहां से होनी चाहिए।

इतना बदलाव आ गया है कि Drone टेक्नोलॉजी का उपयोग किसान का परिवार करे, सरकार ने सार्थक कदम उठाया है।

भारत जो बदल रहा है। काफी गति से बदल रहा है आपके सहयोग की वजह से यह रफ्तार और तेज होगी।क्योंकि जो अन्न देता है आपको, वह अन्नदाता  होता है। .

तीन बातें जो भारत को पूरी तरह बदल चुकी हैं। हमारी सोच बदल गयी है। अब हम दुनिया में किसी के मोहताज नहीं हैं, हमने हमारी 5000 साल पुरानी संस्कृति को हमारे सामने रख दिया है। दुनिया ने उसे पहचान लिया है और यही कारण है कि आज का भारत जिस विकास से आगे जा रहे है दुनिया की संस्थाएं क्या कह रही हैं

जिन देशों को हम देखते थे, हमारे सपने में वे आते थे… क्या कभी कनाडा, यूके, फ्रांस, जर्मनी, जापान, अमेरिका… वैसी व्यवस्था हमारी होगी। आज यह जमीनी हकीकत है, इसमें सबका प्रयास है।

हमारे लोगों ने जिस तरह से टेक्नोलॉजी का अपनाया है, ग्रहण किया है, हमारे जीवन को सार्थक बनाया है, इतना बड़ा सम्मान का विषय है कि डिजिटल ट्रांजैक्शन – यूएस, यूके, फ्रांस, जर्मनी में जो 1 साल में होते हैं, हमारे भारत में उन सबको मिला दो, उससे भी चार गुना ज्यादा होते हैं। ये हमारे भारत की उपलब्धि है।

भारत की युवा शक्ति का कोई मुकाबला नहीं है। हमें कभी नहीं भूलना चाहिए और आपसे  खासकर आग्रह करूंगा, छत्तीसगढ़ की भूमि पर, भारतीयता हमारी पहचान है और भारतीय होने पर हमें गर्व है। और मैं आपसे कहूँगा किसी भी परिस्थिति में हताश मत होइए हारने के डर से, असफल होने के डर से, अगर आप किसी विचार को आगे नहीं बढ़ाएंगे, तो उसमें आपका नुक्सान कम है, समाज का ज्यादा है।

इस systematic manner के अंदर आप पता लगाइये कि भारत सरकार की कितनी नीतियाँ हैं? सहकारिता विभाग ने क्या-क्या ढांचा बना रखा है? उनमें से कुछ अगर आप बदलाव का केंद्र बनेंगे, तो गाँव में क्रांति आयेगी।

मुझे वह दिन याद है जब 1989 में, मैं लोकसभा का सदस्‍य बना, केंद्र में मंत्री भी बना, अमूल तब बहुत बड़ा नाम था, आज भी है। प्रोफेसर कूरियन बहुत बड़े हैं, उनको बुलाया गया। प्रोफेसर कूरियन आए, हम Lok Sabha के 4 सदस्‍य थे जिनसे उनका साक्षात्कार होना था। मैं था, जो डॉक्टर नाथू सिंह गुर्जर, हरीश रावत थे एक और थे वह हमसे ज्यादा प्रतिभाशाली थे नाम याद नहीं आ रहा है। अभी जब कूरियन हमें बताने लगे तो उस समय के उप-प्रधानमंत्री ने कहा वर्गीज़ कुरियन तुम बहुत बड़े साइंटिस्ट हो पर इन्होने तो जन्म ही गांव में लिया है। इनका तो पैर गोबर में रहा है, इन्होने गाय और भैंस के थन देखे हैं, इन्होंने कुएँ से पानी निकलता देखा है, खेत में धौरे देखे हैं, कुछ इनसे भी सीखो… आप सब सिखाने लायक हो।

Agriculture में जितने स्टार्टअप की संभावनाएँ हैं, पैसे की कोई कमी नहीं आज की व्यवस्था में, आज नजर दौड़ाएंगे तो बड़े-बड़े उद्योग इसी मामले में जा रहे हैं…

आप एक काम मेरे कहने से करिये मेरी बातों पर गौर करके –  आप अगर चाहेंगे और में ग्रुप्स में आएंगे, तो और तब आपको पता लगेगा कि सृष्टि के निर्माण में सृष्टि के विकास में- भारत के ही नहीं सृष्टि के विकास में- आपका जो योगदान होगा वह अकल्पनीय है, अप्रत्याशित होगा। और यही वजह होगी, एक प्रमुख वजह कि भारत – विकसित भारत @2047 हमारे लिए सपना नहीं है, हमारा लक्ष्य है। हम लक्ष्य की ओर तीव्रता से जा रहे हैं। हम निश्चित पहुंचेंगे और यह स्थान हजारों साल पहले हमारे देश को मिला हुआ है।